बढ़ सकती है पी चिदंबरम की मुश्किल, पूर्व वित्त सचिव डी सुब्बाराव बोले- INX मीडिया में नियमों के उल्लंधन की जानकारी FIPB को नहीं दी गई
ईडी को दिए अपने बयान में सुब्बाराव ने कहा कि एफआईपीबी इकाई को कंपनी से आगे के निवेश के बारे में पुष्टि करनी चाहिये थी कि क्या आईएनएक्स न्यूज प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया गया. अगर आगे के निवेश की बात पक्की है इसकी पुष्टि कर ली गई तो यह एफआईपीबी नियमों का उल्लंघन बनता है.
नई दिल्ली: INX मीडिया केस में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से सीबीआई की पूछताछ जारी है. पूछताछ में कई अहम खुलासे हो सकते हैं, चिदंबरम 26 अगस्त तक सीबीआई रिमांड पर है. सीबीआई चिदंबरम के दिए जवाबों के बाद उन्हें दस्तावेजी सबूत दिखा कर पूछताछ कर रही है. ये दस्तावेज खुद उनके बेटे और उसके सीए के यहां से बरामद हुए है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही हैं. इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है.
इस बीच ईडी को दिए पूर्व वित्त सचिव डी सुब्बाराव के बयान से चिदंबरम की मुश्किल बढ़ सकती है. सुब्बाराव ने अपने बयान में कहा कि INX मीडिया में नियमों के उल्लंधन की जानकारी FIPB को नहीं दी गई. आईएनएक्स मीडिया सौदे के समय एफआईपीबी मामलों के जिम्मेदार अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी जांच एजेंसियों को दिए बयान में यही जानकारी दी कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में हुये उल्लंघन को सरसरी तौर पर अनुमोदित किए जाने के बजाय भारतीय रिजर्व बैंक के पास भेजा जाना चाहिए था.
ईडी को दिए अपने बयान में सुब्बाराव ने कहा कि एफआईपीबी इकाई को कंपनी से आगे के निवेश के बारे में पुष्टि करनी चाहिये थी कि क्या आईएनएक्स न्यूज प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया गया. अगर आगे के निवेश की बात पक्की है इसकी पुष्टि कर ली गई तो यह एफआईपीबी नियमों का उल्लंघन बनता है. एफआईपीबी की इकाई को मामले की पूरी जानकारी एफआईपीबी को देनी चाहिये थी ताकि उचित निर्णय लिया जाता.’’
वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग का सचिव एफपीआईबी का पदेन अध्यक्ष होता था. आंध्र प्रदेश के वर्ष 1972 बैच के आईएएस अधिकारी सुब्बाराव उस समय आर्थिक मामलों के सचिव थे. बाद में वह रिजर्व बैंक के गवर्नर भी बने. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2017 में एफपीआईबी को भंग कर दिया था.
सुब्बाराव ने जांचकर्ताओं को बताया कि आमतौर पर एफपीआईबी सचिवालय के किसी निदेशक या उप सचिव की जिम्मेदारी होती है कि वह सेबी या आरबीआई के दिशानिर्देशों का अनुपालन कराए और किसी उल्लंघन की जानकारी एफपीआईबी के संज्ञान में लाए. ताकि उस उल्लंघन से निपटने के बारे में निर्णय किया जा सके. सुब्बाराव ने अपने बयान में यह कहा है. उनका बयान पीएमएलए की धारा 50 के तहत लिया गया. मनी लांड्रिंग रोधी कानून (पीएमएलए) के तहत दिये गये बयान को अदालत में माना जाता है.
सुप्रीम कोर्ट से चिदंबरम को मिली फौरी राहत सुप्रीम कोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया केस में शुक्रवार को कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम को 26 अगस्त तक ईडी की गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया. हालांकि इस फैसले का बहुत अधिक असर नहीं होगा क्योंकि वह भ्रष्टाचार के मामले में पहले ही 26 अगस्त तक पूछताछ के लिये सीबीआई की हिरासत में हैं. चिदंबरम की कई याचिकाओं पर दलीलें पेश करने के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया कि उन्होंने उस समय आईएनएक्स मीडिया समूह के प्रोमोटरों पीटर और इंद्राणी मुखर्जी से ‘‘उनके बेटे का ध्यान रखने’’ के लिए कहा था जब वे विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी के लिए उनसे मिले थे.