नई दिल्ली: पीएम मोदी के अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में अब उनके गृह राज्य की एक सहकारी दूग्ध संस्था डेयरी स्थापित करने जा रही है. वाराणसी जिले के करखियांव में ये डेयरी लगने वाली है. इसके लिए बनासकांठा जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ के स्वामित्व वाली बनास डेयरी करीब ढाई सौ करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है.
आज इसका खुलासा तब हुआ, जब गुजरात के बनासकांठा और पाटण जिले के किसानों की सहकारी संस्था बनास डेयरी के कैंपस में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन यानी जीसीएमएमएफ की बैठक हुई, जो राज्य की तमाम सहकारी डेयरी में बनने वाले उत्पादों की मार्केटिंग करने वाली संस्था है.
बनास डेयरी न इस फेडरेशन की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है, बल्कि इसे एशिया की सबसे बड़ी डेयरी का तमगा भी हासिल है, जो रोजाना करीब चालीस लाख लीटर दूध का संग्रह करती है. इस डेयरी से करीब साढ़े तीन लाख किसान जुड़े हुए हैं, जो बनासकांठा और पाटण जिले की सोलह तहसीलों के 1600 गांवों के हैं. पिछले वित्त वर्ष में इस डेयरी ने करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का कारोबार किया.
अपनी समृद्धि और बेहतर कारोबार के कारण ही ये डेयरी अब गुजरात से निकलकर उत्तर प्रदेश में अपनी बैठ बना रही है, जहां न सिर्फ 2014 के लोकसभा चुनावों में बल्कि इस साल हुए विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ने बंपर प्रदर्शन किया. डेयरी की अगुआई भी गुजरात बीजेपी के प्रमुख नेता और राज्य के स्वास्थ्य और शहरी विकास राज्य मंत्री शंकर चौधरी के हाथों में है. यही कारण है कि बनास डेयरी ने प्रधानमंत्री मोदी के लोकसभा क्षेत्र में नया डेयरी प्लांट डालने की योजना बनाई है, जिसके तहत बाबतपुर एयरपोर्ट से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर मौजूद करखियांव गांव में चालीस एकड़ जमीन भी संपादित की जा चुकी है. उम्मीद है कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले ये डेयरी कार्यरत हो जाएगी, जिसका फायदा आसपास के जिले के किसानों को होगा.
बनास डेयरी पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश के कानपुर में पांच लाख लीटर मिल्क प्रोसेसिंग क्षमता वाला डेयरी प्लांट स्थापित कर चुकी है, तो इसी साल फरवरी में लखनऊ में इतनी ही क्षमता का डेयरी प्लांट. इन डेयरी प्लांट्स में दूध से लेकर पनीर, छाछ, दही और आइसक्रीम का निर्माण भी किया जा रहा है. बनास डेयरी उत्तर प्रदेश के करीब डेढ हजार गांवों से दूध किसानों से ले रही है और ये मात्रा अब रोजाना करीब साढ़े तीन लाख लीटर तक पहुंच चुकी है. बनास डेयरी सहित गुजरात की तमाम डेयरी के उत्पादों की मार्केटिंग करने वाली संस्था जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी का दावा है कि उत्तर प्रदेश में गुजरात की डेयरियों के जाने के कारण वहां के किसानों को अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य हासिल हो रहा है, जो पहले निजी क्षेत्र से शोषण का शिकार होते थे. सोढ़ी के मुताबिक पहले उत्तर प्रदेश में 17 रुपये प्रति लीटर दूध का भाव किसानों को मिलता था, जो सहकारी डेयरीयों की इंट्री के बाद बढ़ गया है.
अपनी गुणवत्ता और साहसिकता के कारण गुजरात की सहकारी दुध मंडलियां और उनकी डेयरी देश तो छोड़ अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के प्रमुख शहर दुबई में भी अपना नेटवर्क मजबूत करने में लगी हैं. इन संस्थाओं के पास पैसा भी है और व्यावसायिक कुशलता भी, जिसकी वजह से ये ऐसा कर पाने में सक्षम हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अगर ऐसे में गुजरात के डेयरी मॉडल का बखान करते हों तो भला आश्चर्य क्या.