Dalai Lama's Famous Quotes On His 87th Birthday: दुनिया को प्रेम, अहिंसा (Ahimsa) और शांति का संदेश देने वाले तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा (Tibetan spiritual leader Dalai Lama) 6 जुलाई को अपना 87 वां जन्मदिन (Birthday) मना रहे हैं. देश के मौजूदा हालातों में उनके कहें शब्द बहुत अहम हो जाते हैं. भारत और भारतवासियों की तरफ से उनको जन्मदिन की सच्ची बधाई और शुभकामनाएं तभी हो सकती है, जब उनके शब्दों को हम अपने व्यवहार में उतारने लगें. यहां हम उनके जन्मदिन के साथ ही उनके सर्वश्रेष्ठ उद्धरण (Quotes) और उनसे जुड़ी अहम घटनाओं के जरिए उनका जन्मदिन मना रहे हैं. 


कोरोना के दो साल बाद मनाया जन्मदिन


कोरोना की वजह से इस बार पूरे दो साल बाद बुधवार को तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने अपना 87वां जन्मदिन मनाया. उन्होंने तिब्बती रीति-रिवाज के साथ हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कांगड़ा (Kangra) जिले के मैक्लोडगंज (McLeodganj) के मुख्य बौद्ध मंदिर में ये जन्मदिन मनाया. इस दौरान हॉलीवुड एक्टर रिचर्ड गेरे (Richard Gere) और निर्वासित तिब्बत सरकार के पूर्व प्रधानमंत्री समदोंग रिनपोछे भी मौजूद रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर ने उन्हें जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके दीर्घायु होने की कामना की. 


जब चीन से बचने के लिए भारत पहुंचे दलाई लामा


अपनी शिक्षाओं और जीवन दर्शन से पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ने वाले तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा आज अपने उम्र के 87वें पड़ाव पूरे कर रहे हैं, लेकिन उनकी जिंदगी का सफर भी संघर्षों से भरा रहा है. दलाई लामा आज से 62 साल पहले 1959 तिब्बत से भागकर भारत आए थे. उन्हें मजबूरी में तिब्बत छोड़ना पड़ा था. इसके बाद से ही वह भारत में रह रहे हैं.


दलाई लामा 17 मार्च को तिब्बत की राजधानी ल्हासा से पैदल ही भारत आने के लिए निकले थे. उन्होंने 15 दिनों तक हिमालय के बर्फीले पहाड़ों को पारकर भारत में कदम रखा था. इस दौरान उनकी कोई खबर न आने की वजह से उनकी मौत का अंदेशा भी जताया जा रहा था. गौरतलब है कि मार्च 1959 में पूरे ल्हासा में दलाई लामा की ज़िंदगी ख़तरे में होने की अफवाहें थी.


आशंका जताई जा रही थी कि चीनी उन्हें हानि पहुंचा सकते हैं. उनके सलाहकारों ने उन्हें कहा था कि उन्हें जल्द से जल्द लहासा छोड़ देना चाहिए. यही वजह रही कि उसी साल 17 मार्च की रात  दलाई लामा ने भेष बदल कर अपने परिवार और अंगरक्षकों के साथ ल्हासा महल छोड़ दिया. इस दौरान उनके परिवार की महिलाओं भी पुरुषों के भेष में थी. दलाई लामा ने अपनी आत्मकथा 'माई लैंड एंड माई पीपुल, मेमॉएर्स ऑफ़ दलाई लामा' में भी इस बात का जिक्र किया है. चीन दलाई लामा को अलगाववादी और अपने लिए परेशानी मानता रहा है.  


दलाई लामा है शांति के प्रतीक 


बौद्ध धर्म केअनुयायी दलाई लामा को करुणा के प्रतीक के रूप में देखते हैं. दुनिया में प्रेम, शांति और अहिंसा का प्रचार करने वाले इस तिब्बती धर्म गुरु को साल 1989 में शांति के नोबेल पुरस्कार भी दिया गया. दलाई लामा को भले ही दुनिया भर से सहानुभूति मिली हो, लेकिन वो अब भी भारत में निर्वासित जिंदगी ही बिता रहे हैं. दलाई लामा और चीन के बीच 1950 के दशक से शुरू हुआ विवाद अभी समाप्त नहीं हुआ है. हालांकि अब वो कहते हैं कि वो चीन से स्वतंत्रता नहीं बल्कि स्वायतता चाहते हैं. पूर्वी तिब्बत में 6 जुलाई 1935 को तेनज़िन ग्यात्सो के रूप में एक किसान परिवार में दलाई लामा  का जन्‍म हुआ. उनके दो साल के होते ही ल्‍हामो थोंडुप के बौद्ध भिक्षुओं को आध्‍यात्मिक संकेत मिले थे. जिसके बाद 13 वें दलाई लामा के उत्‍तराधिकारी के तौर पर उनके 14 वें दलाई लामा होने की घोषणा की गई थी.  


दलाई लामा के बारे में अनजानी बातें



  • दलाई लामा का झुकाव बचपन से ही विज्ञान की तरफ रहा था. वो अपने खाली वक्त में घड़ियों और कारों की मरम्मत करना पसंद करते हैं. 

  • मंगाेलियाई भाषा में ‘दलाई’ का मतलब ‘महासागर’ और ‘लामा’ का अर्थ धर्म ‘गुरु’ होता है. 

  • वह अपने पूर्ववर्तियों में सबसे लंबे वक्त तक जीने वाले धर्म गुरु हैं.

  • साल 1940 की 22 फरवरी को वह स्वायत्त तिब्बत की राजधानी ल्हासा (अब चीन ) में हुए एक समारोह में धर्म गुरु की गद्दी पर बैठे थे. 

  • एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अगर वह धर्म गुरु नहीं होते तो वो एक इंजीनियर होते.

  • वो रोज सुबह 3 बजे जग जाते हैं. इसके बाद सुबह सुबह 5 बजे तक ध्यान करते हैं और फिर सुबह की सैर करते हैं.

  • वो दलिया और त्सम्पा (Tsampa) का नाश्ता लेते हैं जो जौ -आटे का एक पंरपरागत तिब्बती व्यंजन है.

  • वे सुबह बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन करते हैं और दोपहर में श्रद्धालुओं से मिलते हैं


दलाई लामा के सर्वोत्तम उद्धरण


जीवन के सभी पहलुओं के बारे में अपने बुद्धिमतापूर्ण शब्दों के लिए मशहूर दलाई लामा इस हालिया शताब्दी में सबसे प्रिय और अहम आध्यात्मिक नेताओं में से एक बन गए हैं. उन्होंने विश्व शांति को बढ़ावा देने और विभाजित देशों को एक करने और पर्यावरण के मुददों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है. जीवन को शांति से जीने के लिए उनके इन सर्वश्रेष्ठ उद्धरण यहां हैं-



  • अपने ज्ञान को साझा करें. यह अमरता पाने का एकमात्र तरीका है.

  • साल में एक बार, ऐसी जगह जाएं, जहां आप पहले कभी नहीं गए हों.

  • हम धर्म और ध्यान के बिना रह सकते हैं, लेकिन हम मानवीय स्नेह के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं.

  • जब हम दूसरों के प्रति प्यार और दया महसूस करते हैं तो यह न केवल दूसरों को प्यार और परवाह महसूस कराता है, बल्कि यह हमें खुद की आंतरिक खुशी और शांति विकसित करने में भी मदद करता है.

  • यदि आप चाहते हैं कि दूसरे खुश रहें तो करुणा का अभ्यास करें. यदि आप खुश रहना चाहते हैं तो करूणा को अपनाएं.

  • नींद सबसे अच्छा ध्यान है.

  • खुशी कोई रेडीमेड चीज नहीं है, यह आपके अपने कामों से आती है.

  • करुणा का विषय बिल्कुल भी धार्मिक व्यवसाय नहीं है; यह जानना महत्वपूर्ण है कि यह मानव व्यवसाय है, यह मानव अस्तित्व का प्रश्न है.


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