Dalai Lama In Mangolia: चीन के गृहयुद्ध में कम्युनिष्ट पार्टी की जीत के बाद चीनी सेना 1949 में पड़ोसी देश तिब्बत में चीन की सेनाएं घुसीं और कब्जा करना शुरू कर दिया. 10 साल तक संघर्ष के बाद तिब्बत लोगों ने 1959 में एक बड़ा विद्रोह किया और इसमें चीनी की सेना भारी पड़ी. तिब्बती के शासक और बौद्ध धर्म के प्रमुख दलाई लामा को देश छोड़कर भागना पड़ा. तब से दलाई लामा (Dalai Lama) भारत में शरण लिए हुए हैं. तिब्बत पर चीन का कब्जा हो गया.


तिब्बत पर कब्जे के बाद भी चीन की नजर में दलाई लामा सबसे बड़ी किरकिरी बने हुए हैं. इसकी वजह है कि बौद्ध बहुल देश में आज भी लोग दलाई लामा को अपना नेता मानते हैं और आजादी की सपना अपने अंदर छिपाए जी रहे हैं. अब दलाई लामा ने एक ऐसा काम किया है जिसके बाद चीन का चिढ़ना तय है. दलाई लामा ने तिब्बती धर्म के तीसरे सबसे वरिष्ठ लामा और मंगोलिया स्थित प्रभावशाली गेलुग्पा स्कूल (Gelugpa School) के प्रमुख के पुनर्जन्म की घोषणा की है.


गेलुग्पा स्कूल का असर तिब्बती बौद्ध धर्म में किस कदर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस स्कूल के मुख्य केंद्र गैंडेन के प्रमुख 14वें दलाई लामा खुद हैं. 14वें दलाई लामा ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में एक कार्यक्रम के दौरान दसवें खालखा जेटसन रिनपोछे का अभिषेक किया. इस शामिल होने के लिए 600 लोग मंगोलिया से धर्मशाला पहुंचे थे. 


चीन के लिए झटका


यह खबर चीन की कम्युनिष्ट पार्टी (सीपीसी) के लिए किसी झटके से कम नहीं है क्योंकि सीपीसी दलाई लामा को बौद्ध धर्म का नेता मानने से इनकार करती है. चीन की सरकार और दलाई लामा के बीच बौद्ध धर्म पर प्रभुत्व को लेकर तनाव बना रहता है. चीनी सरकार ने एक नकली दलाई लामा के जन्म की घोषणा भी कर रखी है लेकिन उसकी मुश्किल है कि तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी उसकी मानते ही नहीं हैं.


तिब्बत के ल्हासा में है प्रमुख मठ


तिब्बती बौद्ध धर्म के चार प्रमुख स्कूल ऑफ थॉट्स हैं, जिनमें से एक गेलुग्पा स्कूल है. यह सबसे नया और सबसे प्रभावी स्कूल है, जिसका असर मंगोलिया से लेकर तिब्बत तक है. इसकी स्थापना तिब्बत की राजधानी ल्हासा के पास गैंडेन मठ में की गई थी. जो इसका मुख्य केंद्र है.


कौन है मंगोलिया के गेलुप्पा स्कूल का प्रमुख


रिपोर्ट के मुताबिक दलाई लामा ने जिस 8 वर्ष के लड़के को गेलुग्पा स्कूल का प्रमुख बनाया है, उसका जन्म साल 2015 में अमेरिका में हुआ था. इस समारोह में मंगोलियाई गेलुग्पा स्कूल के उपप्रमुख और मंगोलिया के हाई प्रोफाइल लामाओं ने हिस्सा लिया था.


दसवें खालखा जेटसेन रिनपोछे के रूप में नियुक्ति पाने वाला 8 वर्षीय बालक दो जुड़वा भाइयों में से एक है. यह मंगोलिया के अमीर बिजनेस और राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखता है. फिलहाल, धर्मशाला स्थिति दलाई लामा के संस्थान ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, क्योंकि डर है कि चीन की सरकार इसे निशाना बना सकती है.


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