14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो का जन्म 6 जुलाई 1935 को उत्तर-पूर्वी तिब्बत के ताकस्तेर क्षेत्र में हुआ था और आज उनका 86वां जन्मदिन है. दलाई लामा 6 दशक से भारत में रह रहे हैं और खुद को भारत का पुत्र मानते हैं. वहीं उनका जन्मदिन हर साल हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बती समुदाय के लिए सबसे बड़े आयोजनों में से एक रहा है. इस बार कोविड 19 के चलते मैक्लोडगंज धर्मशाला में त्सुगलगखांग में उत्सव आयोजित नहीं किया जाएगा. साथ ही केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने एक एडवाइजरी जारी कर सभा नहीं लगाने को कहा है.


हिमाचल प्रदेश सरकार ने 50 लोगों तक के प्रतिबंध के साथ सामाजिक समारोहों के लिए दिशानिर्देश और एसओपी जारी किए हैं. साथ ही जनता से भीड़ का हिस्सा नहीं बनने को कहा है. दरअसल तिब्बतियों के लिए दलाई लामा चेनरेज़िग की मानवीय अभिव्यक्ति हैं. हर साल इस दिन को भव्यता, महिमा और उत्सव की भावना के साथ मनाया जाता है. इस साल भी ये दिन उसी उत्साह के साथ मनाया जाएगा, लेकिन कोविड नियमों की अवेलना नहीं की जाएगी.



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामनाएं एक ट्वीट के माध्यम से दी हैं और उनके लंबे व स्वस्थ जीवन की कामना की है. 


कोविड से पहले कैसे मनाया जाता था जन्मदिन?


दलाई लामा का जन्मदिन तिब्बती समुदाय के सबसे भव्य आयोजनों में से एक है. इस दिन केंद्रीय तिब्बती प्रशासन, निर्वासित तिब्बती सरकार के गणमान्य व्यक्ति, हिमाचल प्रदेश सरकार के अधिकारी, भारत सरकार के प्रतिनिधि और विभिन्न प्रतिष्ठित वैश्विक हस्तियां उनका जन्मदिन मनाने आती थीं. वहीं हर साल दलाई लामा के जन्मदिन पर हिमालय, लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश के लोग नृत्य, गीत प्रस्तुत करते थे.


कोविड के चलते जारी हुई एडवाइजरी


हिमाचल प्रदेश सरकार ने कोविड 19 महामारी के चलते गाइडलाइन जारी की है. इसलिए दलाई लामा के जन्मदिन पर त्सुगलगखांग लोगों के लिए बंद है. परम पावन दलाई लामा ने पिछले फरवरी 2020 से अपने सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है. मई 2020 से वो वैज्ञानिकों विद्वानों के साथ साप्ताहिक सार्वजनिक वार्ता और विचार-विमर्श कर रहे हैं. जिसे 6 करोड़ से ज्यादा लोगों ने देखा है.


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