एक्सप्लोरर
Advertisement
दलितों के लिए अलग शमशानः मद्रास HC ने कहा- ऐसा लगता है सरकार खुद ही जाति के आधार पर बांट रही है
दलितों के लिए अलग श्मशान घाट और कब्रिस्तान आवंटित किए जाने की खबर सामने आने के बाद मद्रास हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया. इस मामले को लेकर कोर्ट ने सरकार से जवाब भी मांगा.
चेन्नईः दलितों के लिए अलग श्मशान घाट और कब्रिस्तान आवंटित किए जाने को लेकर मद्रास हाई कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार खुद ही जाति के आधार पर विभाजन को बढ़ावा दे रही है. इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से सफाई भी मांगा. तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में दलितों के एक श्मशान घाट जाने वाले मार्ग को रोकने के बारे में एक अखबार में आई खबर पर संज्ञान लेते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की.
गौरतलब है कि श्मशान घाट जाने वाले रास्ते को बाधित किए जाने के कारण समुदाय के सदस्य पिछले चार साल से अपने सगे-संबंधियों के शव को एक नदी पर स्थित पुल से रस्सियों के सहारे नीचे गिराने के लिए मजबूर हैं.
जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस सुब्रहमण्यम प्रसाद की पीठ ने अपनी मौखिक टिप्पणी में इस बात का जिक्र किया कि सभी लोग- चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों को सभी सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश की इजाजत है.
हाई कोर्ट ने कहा कि ‘आदि द्रविड़ों’ (अनुसूचित जाति) को अलग कब्रिस्तान आवंटित कर सरकार खुद ही ऐसी परंपरा को बढ़ावा देती दिख रही है.
अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत देश का हर नागरिक कानून के समक्ष समानता का हकदार है. पीठ ने यह जानना चाहा कि लोगों की उनकी जाति के आधार पर शवदाह के लिए अलग स्थान होने के क्या कारण हैं.
पीठ ने यह भी पूछा कि क्यों कुछ स्कूलों को आदि द्रविड़ों के लिए अलग स्कूल कहा जाना जारी है, जबकि राज्य सरकार ने सड़कों से जाति के नाम हटा दिये हैं.
इसके बाद अदालत ने वेल्लोर जिला कलेक्टर और वनियाम्बडी तहसीलदार को कब्रिस्तान के आसपास ग्रामीणों द्वारा इस्तेमाल की गई भूमि का ब्यौरा सौंपने का निर्देश दिया. बहरहाल, याचिका पर आगे की सुनवाई बृहस्पतिवार के लिए स्थगित कर दी गई.
खबरों के मुताबिक चेन्नई से 213 किमी पश्चिम की ओर वनियाम्बडी कस्बे के पास स्थित नारायणपुरम गांव के दलित समुदाय के लोग अपने सगे-संबंधियों के शवों को नदी पर स्थित पुल से नीचे गिराने के लिए मजबूर हैं क्योंकि नदी तट पर स्थित कब्रिस्तान तक जाने का रास्ता दो लोगों के कथित अतिक्रमण के चलते बाधित हो गया है.
हाई कोर्ट ने एक अंग्रेजी अखबार में इस बारे में एक खबर प्रकाशित होने पर पिछले हफ्ते इस मुद्दे का संज्ञान लिया. पीठ ने पिछले हफ्ते तमिलनाडु के गृह सचिव, वेल्लोर जिला कलेक्टर और तहसीलदार को नोटिस जारी कर इस मुद्दे पर उनसे जवाब मांगे थे.
खबरों के मुताबिक गांव के दलित बाशिंदे शवों को पिछले चार साल से पुल से नीचे नदी तट पर उतारते हैं. हालांकि, दलितों का कहना है कि वे अन्य समुदायों से प्रत्यक्ष तौर पर जातीय भेदभाव या धमकियों का सामना नहीं कर रहे हैं. उन्होंने अतिक्रमण नहीं हटाने के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है.
बांग्लादेशी सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला- विवाह प्रमाण पत्र से हटाया जाए 'वर्जिन' का कॉलम
सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये देगी RBI, राहुल गांधी ने उठाए सवाल, देखिए क्या कहा?
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें Khelo khul ke, sab bhool ke - only on Games Live
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
दिल्ली NCR
बॉलीवुड
क्रिकेट
Advertisement
अनिल चमड़ियावरिष्ठ पत्रकार
Opinion