मुंबई में डांस बार खोलने का रास्ता आसान हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की तरफ से 2016 में बनाए गए कानून के कड़े नियमों को हटा दिया है. कोर्ट ने माना है कि अश्लीलता रोकने के नाम पर राज्य सरकार ने ऐसे नियम बनाए, जिनके रहते डांस बार खोलना लगभग नामुमकिन था.


क्यों बना राज्य सरकार का कानून
2013 में सुप्रीम कोर्ट ने राइट टू प्रोफेशन यानी व्यवसाय करने के मौलिक अधिकार का हवाला देते हुए डांस बार पर लगी रोक को हटाया था. कोर्ट ने कहा था कि अगर बड़े होटलों में नृत्य हो सकता है तो छोटे बार को इससे रोकना गलत है. इसके बाद राज्य सरकार ने हर तरह के होटल में नृत्य पर रोक लगा दी. 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत बताते हुए कहा कि राज्य सिर्फ अश्लीलता पर रोक के लिए नियम बना सकता है.


2016 में महाराष्ट्र सरकार ने "प्रोहिबिशन ऑफ ऑब्सीन डांस एंड प्रोटेक्शन ऑफ डिगनिटी ऑफ वुमेन" कानून बनाया. इस कानून में अश्लीलता रोकने के नाम पर काफी कड़े नियम बना दिये गए.


कानून की कड़ी शर्तें
नए कानून में डांस बार का लाइसेंस मांगने वालों से कई शर्तों का पालन करने को कहा गया. जैसे :-


* डांस फ्लोर को चारों तरफ से हल्की ऊंची दीवार से घेरना


* डांस वाले हॉल में शराब न परोसना


* डांस वाले हॉल में सीसीटीवी कैमरा लगाना और उसकी लाइव फीड स्थानीय थाने को देना


* स्कूल/धार्मिक स्थानों से 1 किलोमीटर दूर डांस बार खोलना


* रात साढ़े 11 तक ही बार खोलना


* डांसर को मासिक वेतन पर नौकरी देना


* डांसरों पर पैसे लुटाने या टिप देने पर रोक


रेस्टोरेंट मालिकों की याचिका
2016 के कानून में कुल 26 ऐसी शर्तें थीं जिन पर रेस्टोरेंट मालिकों को एतराज़ था. इसके खिलाफ इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन समेत कुछ और संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उनकी तरफ से कहा गया कि सरकार ने जान-बूझकर ऐसे नियम बनाए हैं, जिनके रहते कोई डांस बार खोलना ही न चाहे. ऐसी शर्तों के रहते बार में ग्राहक आना पसंद ही नहीं करेंगे. इन शर्तों के साथ बार खोलना व्यापारियों के लिए घाटे का सौदा है. डांस करने वाली महिलाओं के रोजगार के अधिकार का भी ये कानून हनन करता है.


कोर्ट का फैसला
पिछले साल लंबी बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये कहा था कि बदले हुए दौर में 'मोरल पुलिसिंग' की बहुत जगह नहीं बची है. लेकिन राज्य सरकार इसकी कोशिश कर रही है. कोर्ट का फैसला काफी हद तक इसी टिप्पणी के मुताबिक है. कोर्ट ने माना है कि डांस बार में अश्लीलता को मंजूरी नहीं दी जा सकती. लेकिन कुछ कड़ी शर्तों को कोर्ट ने हटा दिया है. फैसले के मुताबिक :-


* बार और डांसिग एरिया अलग रखने की शर्त गलत है


* डांस वाले हॉल में शराब पीने पर रोक नहीं लगाई जा सकती


* डांसिग एरिया में सीसीटीवी का नियम सही नहीं है


* स्कूल और धार्मिक जगह से 1 किलोमीटर की दूरी रखने की शर्त गलत. मुंबई जैसी घनी आबादी वाले शहर में ये व्यवहारिक नहीं है


* डांसर को मासिक वेतन वाली नौकरी पर रखने की शर्त खारिज. लेकिन कांट्रेक्ट करना होगा, ताकि डांसरों का रिकॉर्ड रहे


* डांसर पर पैसे नहीं उछाले जा सकते. लेकिन अलग से टिप दी जा सकती है


* 11.30 रात तक डांस बार खुलने का नियम सही


* सिर्फ 'अच्छे चरित्र' के लोगों को बार लाइसेंस देने की शर्त रद्द


अब क्या होगा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक सरकार को नियमों में बदलाव की अधिसूचना जारी करनी पड़ेगी. नए नियमों का पालन करने के इच्छुक लोग लाइसेंस का आवेदन कर सकेंगे. संबंधित विभाग की मंजूरी के बाद डांस बार खुल सकेगा. यानी कोर्ट के आज के फैसले के बाद भी मुंबई में डांस बार दोबारा खुलने में कुछ वक्त लग सकता है.


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