Dara Sikoh Death Anniversary: ऐसा मुगल जिसे कहा जाता था 'पंडित जी', जानें भाई औरंगजेब ने क्यों कर दी हत्या?
Dara Sikoh Death Anniversary: दारा शिकोह शाहजहां का सबसे बड़ा बेटा था, उनकी दिलचस्पी सूफीवाद और दर्शन में लगता था, वो सैन्य मामलों में कुशल नहीं था.
Dara Sikoh 364th Death Anniversary: आज ही के दिन, 364 साल पहले दिल्ली की सड़कों पर एक शहजादे को फटे और मैल-कुचले कपड़ों में पूरे दिल्ली में घुमाया गया और बाद में उसका सर कलम कर दिया गया. इसकी वजह, हिंदू धर्म से लगाव और आध्यात्म की बात करना था. ये शहजादा था,मुगल शासक शाहजहां का बड़ा बेटा दारा शिकोह. उसका व्यक्तित्व धार्मिक और दार्शनिक था. उसका रुझान धर्म, सूफीवाद और दर्शन में लगता था. इसी वजह से उनका भाई औरंगजेब उसे पसंद नहीं करता था.
अविक चंदा ने अपनी किताब दारा शिकोह- 'द मैन हू वुड वी ए किंग में लिखा है, ‘दारा शिकोह एक जन्मजात कवि, एक गुणी सुलेखक और चित्रकार था, इसके अलावा वह सूफी भी था और उस पर राजघराने की मुहर भी थी. उसकी सभी काव्य रचनाएं फ़ारसी में थीं. सूफी और गैर-मुस्लिम हलकों में उसे अपने परदादा अकबर महान का अवतार माना जाता था.
कैसा था दारा शिकोह का व्यक्तित्व
दारा का जन्म 11 मार्च 1615 को राजस्थान के अजमेर में हुआ था. कहा जाता है कि दारा शिकोह अपना ज्यादा समय हिंदू साधुओं के साथ बिताता था. मुगल खानदान में अकबर के अलावा अगर कोई व्यक्ति ऐसा था जिसने हिंदुओं के करीब अपनी ज़िंदगी बिताई, तो वह दारा शिकोह ही था जिसने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा हिंदू धर्मग्रंथ और साधुओं की बीच गुजार दिया.
इतिहासकारों के मुताबिक दारा ने हिंदू धर्म के उपनिषदों का फारसी अनुवाद करवाया था. दारा शिकोह ने ‘सिर्र-ए-अकबर’ नाम से 52 उपनिषदों का अनुवाद किया. दारा हिंदू और इस्लाम के बीच एक धार्मिक ‘पुल’ स्थापित करना चाहता था, लिहाजा उसने मजमा-उल-बहरीन यानी दो सागरों का मिलन नाम के किताब की रचना की थी. इस किताब में वेदों और सूफीवाद का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है.
अविक चंदा ने अपनी किताब लिखा है', 'दारा शिकोह ने योग और गीता जैसे प्रसिद्ध दार्शनिक ग्रंथों का फ़ारसी में अनुवाद किया. जिससे पता चलता है कि दारा शिकोह ने महाभारत को पूरी तरह से पढ़ा था, क्योंकि गीता महाभारत का अंतिम अध्याय है.'
किताब में अवीक चंदा आगे बताते हैं, 'दारा शिकोह का एकमात्र उद्देश्य ‘अहल-ए-इस्लाम’ को उन हिंदुओं की धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों के ज्ञान से शिक्षित करना था, जिन पर मुगलों ने शासन किया था. उसे आशा थी कि इससे भारतीय प्रजा में शांति और सद्भाव का संचार होगा. ऐसा नहीं है कि दारा शिकोह सिर्फ हिंदू धर्म को मानता था. उसकी रुचि इस्लाम, बौद्ध, जैन, ईसाई में भी थी लेकिन वो हिंदू धर्म के संस्कारों से ज्यादा प्रभावित था.'
दारा शिकोह के बारे में माना जाता था कि वो सिर्फ आध्यात्म की जानकारी रखता था मगर एक कुशल प्रशासक के तौर पर उसकी कोई उपलब्धि नहीं थी, लेकिन भारत में उसे एक उदार मुस्लमान शहजादे के तौर पर गिना जाता रहा है. कहा जाता है वो एक ऐसे भारत की कल्पना करता था जो दर्शन, सूफिज्म और आध्यात्मिकता को महत्व देता हो.दारा हिंदी अरबी और संस्कृत भाषा सहित कई भाषाएं जानता था.
औरंगजेब का मानना था कि दारा शिकोह दूसरे धर्म का प्रचार करता है, जो इस्लाम में वर्जित है और इसी वजह को आधार बनाकर औरंगजेब ने उसकी हत्या कर दी.
क्या थी मौत की वजह ?
साल 1652 में दारा शिकोह को शाहजहां ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया लेकिन इसके कुछ साल बाद 1657 में जब शाहजहां की तबीयत बिगड़ी तब दारा शिकोह की ताकत भी सल्तनत के मामलों में कमजोर पड़ने लगी.
30 मई 1658 को दारा और औरंगजेब के बीच आगरा के नजदीक भयंकर युद्ध हुआ. इस युद्ध में दारा को हार का सामना करना पड़ा और औरंगजेब ने जीत हासिल कर अपने पिता शाहजहां से गद्दी छीन ली और शाही सिंहासन पर खुद बैठ गया. उसने शाहजहां को जेल में डाल दिया और दारा शिकोह को मारने की रणनीति बनाने लगा. मार्च 1659 में अजमेर के पास देवराई के इलाके में दारा और औरंगजेब में लड़ाई हुई. इस युद्ध में भी दारा को मुंह की खानी पड़ी.
‘शाहजहांनामा’ के अनुसार, 'औरंगज़ेब से युद्ध में हारने के बाद दारा शिकोह को जंजीरों से जकड़कर दिल्ली लाया गया और कुछ दिन जेल में कैद रखने के बाद 30 अगस्त 1659 को औरंगजेब ने दारा का सिर कलम करवा दिया. दारा की मौत के बाद उसका सर शाहजहां को भेज दिया गया, जिसे देखने के बाद शाहजहां टूट गया था.'
बीजेपी ने की है दारा के कब्र की तलाश
दारा शिकोह को कहां दफनाया गया इसे लेकर कई दावे हैं. साल 2021 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने दारा शिकोह के कब्र की तलाश के लिए पुरातत्वविदों की एक कमेटी बनाई. इतिहास के दस्तावेजों के अनुसार दारा शिकोह को हुमायूं के मकबरे में दफनाया गया. इस आधार पर ही सरकार ने उन्हें ढूंढने की कवायद शुरू की थी.
दारा शिकोह की शादी नादिरा बानो से हुई. इतिहासकारों ने उनकी शादी को कलमबद्ध किया है. इतिहासकार पीटर मुंडी की किताब ‘पीटर मुंडी की यूरोप और एशिया की यात्रा’ में मुताबिक दारा की शादी मुगल इतिहास में सबसे महंगी शादी रही है. इस शादी में दारा की बहन जहांआरा बेगम ने 16 लाख रुपये खर्च किए थे. जबकि पूरी शादी की खर्च 32 लाख रुपये आंका जाता है.
ये भी पढ़ें: