(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
गोरखालैंड की मांग में 4 दिन से दहक रहा है दार्जिलिंग
नई दिल्ली: जिस दार्जिलिंग की पहचान उसकी खूबसूरत पहाड़ियों और सुहावने मौसम के लिए होती है वो पिछले 4 दिनों से दहक रहा है. इसकी वजह है अलग राज्य की मांग. गोरखालैंड नाम से अलग राज्य बनाने की मांग करीब 110 साल पुरानी है, जो बीच-बीच में कई बार उग्र आंदोलन की शक्ल ले चुकी है. इस आंदोलन को ताजा चिंगारी मिली है दार्जिलिंग के स्कूलों में बंगाली भाषा पढ़ाने के ममता सरकार के ऐलान से.
इस ऐलान के बाद गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने अलग राज्य की मांग फिर तेज कर दी. आज पुलिस ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के मुखिया बिमल गुरुंग के कई ठिकानों पर छापा मारा और भारी मात्रा में हथियार और कैश बरामद किया. जीजेएम ने इसके विरोध में दार्जिलिंग में अनिश्तिकालीन बंद का एलान कर दिया है. वहीं गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक केंद्र सरकार 19 जून को इस मामले में राज्य सरकार और जीजेएम के साथ बैठक पर विचार कर रही है.
केन्द्र सरकार ने प. बंगाल में शांति बहाली के लिये 400 जवान भेजे
केन्द्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में हिंसा रोकने और राज्य में शांति बहाली के लिये अर्धसैनिक बल के 400 अतिरिक्त जवान भेजे है. इसके साथ ही केन्द्र सरकार की ओर से पश्चिम बंगाल में स्थानीय प्रशासन को कानून व्यवस्था की सामान्य स्थिति बहाल करने के लिये भेजे गये जवानों की संख्या 1400 हो गयी है. गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के अनुरोध पर 400 जवानों की अतिरिक्त टुकड़ी दार्जिलिंग के लिये रवाना की गयी है. इससे पहले लगभग 1000 जवान भेजे जा चुके हैं. इनमें 200 महिला सैन्यकर्मी भी शामिल है.
दार्जिलिंग के एसपी अखिलेश चतुर्वेदी के कहा, ''सुबह खबर थी कि यहां पर बहुत सारे लोगों को जमा किया है जीजेएम ने एक स्कूल के पास गैराज में, गांव के पास एक जगह में और पार्टी दफ्तर में, तो हम लोगों ने उसके आधार पर आज रेड करने का प्लान बनाया था, हमने 3 जगहों पर रेड की है.''
छापों के दौरान पुलिस को बिमल गुरुंग के ठिकानों से भारी मात्रा में हथियार और कैश मिला. इसमें विस्फोटकों के अलावा, धारदार हथियार बड़ी संख्या में तीर और खास तरह का धनुष मिला. बंदूक जैसे दिखने वाले इस धनुष को क्रॉस बो कहा जाता है. जीजेएम का दावा है कि ये हथियार तीरंदाजी प्रतियोगिता के लिए जुटाए गए थे
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा की अगुवाई में चल रहे इस आंदोलन की ये हैं मुख्य मांगे
- पश्चिम बंगाल से सिलिगुड़ी, कर्सियांग, दार्जिलिंग और कलिमपोंग जैसे पहाड़ी इलाकों को काटकर अलग राज्य बनाया जाए
- नेपाल और भूटान की सीमा से लगने वाले इन शहरों की बहुसंख्यक आबादी गोरखा है, जो नेपाली भाषा बोलते हैं
- गोरखालैंड की मांग को लेकर इससे पहले 1986 और 2007 में बड़े आंदोलन हो चुके हैं
- ताजा आंदोलन की वजह है दाजिंलिंग के स्कूलों में बंगाली भाषा को पढ़ाने का फैसला
- इस पूरे इलाके में गोरखाओं की आबादी 10 लाख से ज्यादा है
जीजेएम का आरोप है कि ममता बनर्जी गोरखाओं पर बंगाली भाषा थोपने की कोशिश कर रही हैं इसीलिए एक बार फिर से अलग गोरखालैंड राज्य की मांग तेज हो गई है. अलग गोरखालैंड राज्य के आंदोलन की कमान जीजेएम के मुखिया बिमल गुरुंग ने संभाल रखी है.
कौन हैं बिमल गुरुंग
- बिमल गुरुंग अभी गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के चीफ एक्जीक्यूटिव भी हैं.
- जीटीए दार्जिलिंग और दूसरे पहाड़ी इलाकों की प्रशासनिक व्यवस्था को देखता है, जिसका गठन 2011 में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के आंदोलन के बाद ही हुआ था
- बिमल गुरुंग ने गोरखा जनमुक्ति मोर्चा का गठन 2007 में किया था
- इससे पहले वो गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट से जुड़े रहे
- गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट ने 1986-88 के बीच गोरखालैंड की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन किया था
अब बिमल गुरुंग ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इस आंदोलन को देखते हुए केंद्र की तरफ से अर्द्धसैनिक बलों के 1400 जवानों को दार्जिलिंग भेजा जा चुका है और हालात अभी तनावपूर्ण बने हए है.