त्रिवेंद्रम: बिहार के दशरथ मांझी की तो आप जानते ही होंगे. अपने हाथों से पहाड़ को चीर कर उन्होंने सड़क बना दी थी. केरल के एक दिव्यांग शख्स ने बिहार के इस माउंटेनमैन की याद ताजा कर दी है. बेहतर रोजी रोटी पाने के लिए इस शख्स ने भी पहाड़ का सीना चीर दिया और अब 200 मीटर लंबी सड़क करीब-करीब बनकर तैयार है.


केरल में त्रिवेंद्रम के विलाप्पीशल में रहने वाले 58 साल के शशि अपने गांव से शहर को जोड़ने के लिए तीन साल से पहाड़ तोड़ रहे हैं, लेकिन इस जुनून के पीछे का जज्बा आसान नहीं है. दरअसल, शशि नौजवानी मजदूरी करते थे. कुएं से पानी निकालकर और नारियल तोड़ कर रोजी-रोटी चलाते थे, लेकिन 18 साल पहले एक दिन नारियल के पेड़ से ऐसा गिरे कि महीनों बिस्तर पर पड़े रहे और इसी दौरान उन्हें लकवा मार गया.



चलने में दिक्कत थी, इसलिए गांव की पंचायत से तीन पहिये के वाहन के लिए मदद मांगी. सड़क बनवाने की भी मांग की, लेकिन दोनों काम नहीं हुए. फिर एक दिन उन्होंने हाथ में फावड़ा और कुदाल उठा ली और पहाड़ को काटने में जुट गए.


 


ढाई साल तक वो रोजाना छह घंटे पहाड़ काटकर ही घर लौटते थे. धीरे-धीरे रास्ता दिखने लगा और अगले महीने तक पूरी तैयार हो जाएगी. शशि के जज्बे के सामने पंचायत को भी झुकना पड़ा और उसे वाहन का वादा किया है ताकि वो शहर जाकर रोजी रोटी का अच्छा इंतजाम कर सकें.



बिहार के गया के दशरथ मांझी ने अपने गहलौर गांव को वजीरपुर से जोड़ा था, जहां जरूरत की हर चीज मुहैया थी. आज से नौ साल पहले कैंसर से मौत से पहले मांझी ने अपनी कहानी एबीपी न्यूज के साथ साझा की थी.