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दास्तानगोई को लोगों के मन में 'अंकित' करने वाले अंकित नहीं रहे
'दास्तानगोई' को फिर से जीवन देने में जुटे युवा दास्तानगो अंकित चड्ढा की 30 साल की उम्र में मौत हो गयी. दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में आज उनका अंतिम संस्कार किया गया.
नयी दिल्ली: उर्दू कहानी कहने की कला 'दास्तानगोई' को फिर से जीवन देने में जुटे युवा दास्तानगो अंकित चड्ढा की 30 साल की उम्र में मौत हो गयी. दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में आज उनका अंतिम संस्कार किया गया.
करीबी पारिवारिक संबंधियों ने कहा, "वो पुणे में अपनी एक प्रोग्राम के लिए गए थे, वहीं पास में ही एक झील में घूमने के दौरान उसका पैर फिसल गया. झील में डूबने से उनकी मौत हो गयी."
उन्होंने कहा कि घटना बुधवार की है. डूबने के कई घंटों बाद उनके शव को बाहर निकाला जा सका. आपको बता दें कि अंकित पिछले कई सालों से दास्तानगोई कर रहे थे.
मुख्य तौर पर वो कबीर की वाणी को उर्दू की दास्तान में पिरोकर सुनाने के लिए जाने जाते थे. वो जश्न ए रेख्ता, कबीर उत्सव जैसे महत्वपूर्ण मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ-साथ देश विदेश में भी प्रस्तुति दे चुके थे.
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डॉ. अजय कुमारनेता, कांग्रेस
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