200 के नोट लाने की तारीख तय, ATM में नहीं होगा बदलाव
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, 200 रुपये के नोट की छपाई बड़े पैमाने पर शुरु कर दी गयी है. साथ ही इसे लांच करने की तारीख भी तय हो गयी है. कोशिश यही रहेगी कि बाजार में लाए जाने के बाद इसकी कोई कमी नहीं हो.
नई दिल्लीः 200 रुपये के नए नोट लाने की तारीख तय हो गयी है. हालांकि अभी तारीख का खुलासा नही किया गया है. खास बात ये है कि इन नोटों के लिए एटीएम के खांचे में तब्दीली लाने यानी रिकैलिब्रेट करने की जरुरत नहीं होगी.
दूसरी ओर सरकारी सूत्रों ने इस बात की तस्दीक की कि बाजार में दो हजार रुपये की जमाखोरी हो रही है जिसकी वजह से इसकी कमी महसूस की जा रही है. सूत्रों ने ये भी साफ किया कि 2000 के नोटों की छपाई तय संख्या के हिसाब से की गयी है और ये चलन जारी रहेगा. लेकिन असीमित संख्या में दो हजार रुपये के नोटों की छपाई नही हो सकती.
200 रुपये के नए नोट सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, 200 रुपये के नोट की छपाई बड़े पैमाने पर शुरु कर दी गयी है. साथ ही इसे लांच करने की तारीख भी तय हो गयी है. कोशिश यही रहेगी कि बाजार में लाए जाने के बाद इसकी कोई कमी नहीं हो. अभी बाजार में 1 रुपये के अलावा, 10, 20, 50, 100, 500 और 2000 रुपये के नोट जारी किए जाते हैं. चूंकि 500 और 2000 के बीच काफी बड़ा अंतर है, इसीलिए बार-बार ये आवाज उठी कि 200 रुपये के नोट जारी किए जाए. इसी के बाद सरकार और रिजर्व बैंक ने मिलकर 200 रुपये के नोट लाने की योजना बनायी.
सूत्रें के मुताबिक, 200 रुपये का नोट बाजार में उपलब्ध नोटों के आकार का ही होगा इसकी वजह से देश भर में सवा दो लाख से ज्यादा एटीएम में नोट के खांचे को नई शक्ल देने की जरुरत नही होगी. ध्यान रहे कि 500 और 2000 रुपये के नए नोट लाने के समय सभी एटीएम को चरणबद्ध तरीके से रिकैलिब्रेट किया गया जिससे लोगो को कुछ समय तक परेशानी का सामना करना पड़ा. लेकिन अब आगे ऐसी स्थिति नही रहेगी.
2000 रुपये के नोट राज्यसभा में बुधवार को 2000 के नोटों का मामला उठा. सपा सांसद नरेश अग्रवाल और जदयू सांसद शरद यादव ने सरकार ने 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद होने को लेकर चल रही अटकलों पर सफाई देने को कहा. यहां पर मांग प्वाइंट ऑफ ऑडर की उठी. दूसरी ओर इस मामले पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ-साफ तो कुछ भी नहीं कहा लेकिन ये जरुर कह दिया कि ये मामला ‘प्वाइंट ऑफ ऑडर्रं’ का नहीं, बल्कि ‘प्वाइंट ऑफ होर्डर’ का है. खास बात ये रही कि जेटली की इस टिप्पणी के साथ ही नोटों को लेकर उठ रही आवाज शांत हो गयी और फिर आगे की कार्यवाही शुरु हो गयी.
बाद में सरकारी सूत्रो ने ये माना कि बाजार में 2000 रुपये के नोट कम हो गए हैं. लेकिन इसकी वजह छपाई बंद होना नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर की जा रही जमाखोरी है. सूत्रों के मुताबिक, बाजार में मांग और आपूर्ति के समीकरण के आधार पर तय होता है कि कितने नोट छापे जाएंगे. तकनीकी भाषा मे इसे इंडेट कहा जाता है. इसी के आधार पर रिजर्व बैंक, नोट प्रिटिंग प्रेस को नोट की छपाई का आदेश देता है. अब ऐसे में मुमकिन है कि 2000 रुपये के नोटों की कम छपाई हो रही हो और निचली कीमत वाले नोटों की ज्यादा, लेकिन नोटों की छपाई बंद कर दी गयी हो, ये सही नहीं.
सूत्रों ने ये भी साफ किया कि हर चीज की एक सीमा होती है और 2000 रुपये के नोटों के मामले में ये बात लागू होती है. सूत्रों ने दो टूक शब्दों में कहा कि असीमित संख्या में 2000 रुपये के नोट नहीं छापे जा सकते. वैसे भी बाजार से जितने नोट निकाले गए, उसका बड़ा हिस्सा बाजार में आ चुका है. भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 7 जुलाई 2017 तक रद्द किए गए 500 और 1000 रुपये के नोटों की कुल कीमत के 84 फीसदी के बराबर बाजार में नोट आ चुके हैं.
रिपोर्ट में अलग-अलग कीमतों के नोटों की बाजार हिस्सेदारी का ब्यौरा भी दिया गया है:
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