मुंबईः एजाज लकड़ावाला को इसी साल मुंबई पुलिस ने पटना से गिरफ्तार किया है. लकड़ावाला पहले छोटा राजन गिरोह के लिए काम करता था. लेकिन साल 2000 के बाद उसने अपना अलग गैंग बना लिया था और लोगों को डरा धमका कर उगाही का काम करता था. पुलिस गिरफ्त में लकड़ावाला ने अंडरवर्ल्ड में अपने करियर की कहानी सुनाते हुए कई ऐसे राज उगले जिन पर अब तक पर्दा पड़ा हुआ था. ऐसा ही एक राज है दाऊद इब्राहिम की हत्या के मिशन का जो सफल नहीं हो सका था.
लकड़ावाला ने बताया कि अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन पहले दाऊद इब्राहिम के गिरोह के लिये ही काम करता था. जुर्म की दुनिया में उसे दाऊद का दाहिना हाथ माना जाता था. साल 1993 में जब मुंबई में सिलसिलेवार बम धमाके हुए तो उसमें दाऊद इब्राहिम का नाम आया. मुंबई पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने दाऊद इब्राहिम के तस्करी के नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए आरडीएक्स नाम का विस्फोटक मुंबई के पास उतरवाया था. इसके बाद राजन ने दाऊद गिरोह छोड़ दिया था.
लकडावाला के अनुसार खुद को एक हिंदू डॉन और राष्ट्रवादी साबित करने के लिये छोटा राजन ने दाऊद गिरोह के शूटरों के अलावा बमकांड के आरोपियों की हत्याएं करवाना शुरू कर दिया था. इससे मुंबई में एक गैंगवार छिड़ गया. बदले में दाऊद गिरोह की ओर से राजन के शूटर और शिवसैनिकों को मारा जाने लगा था.
इस बीच भारतीय खुफिया एजेंसियों ने राजन की दाऊद से इस दुश्मनी का फायदा उठाने की सोची, दाऊद के बारे में सबसे पुख्ता जानकारी रखने वाले छोटा राजन से बेहतर भला कौन हो सकता था जिसने करीब 20 साल तक दाऊद के साथ काम किया था. 1998 में खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर छोटा राजन ने अपने 7 शूटरों की एक टीम को कराची भेजा था. जानकारी ये थी कि दाऊद अपनी बेटी मारिया की मौत से संबंधित कोई रस्म अदा करने के लिये अपने घर के पास की किसी दरगाह पर जाने वाला है. सातों शूटरों ने कई दिनों तक उस दरगाह पर निगाह बनाए रखी और दाऊद के आने का इंतजार करने लगे.
लकड़ावाला का कहना है कि इस बीच नेपाल के एक सांसद मिर्जा दिलशाद बेग को इस प्लान की भनक लग गई थी. बेग दाऊद इब्राहिम गिरोह के लिये काम करता था. उसने तुरंत दाऊद को सचेत कर दिया था. इसके बाद दाऊद दरगाह पर नहीं गया और उसकी जान बच गई. इसके चलते राजन का प्लान कामयाब नहीं हो सका.
छोटा राजन को जब पता चला कि सांसद बेग की वजह से दाऊद बच गया है तो उसने नेपाल में अपने शूटरों की एक टीम भेजकर उसकी हत्या करवा दी थी. इसी बीच दाऊद को जानकारी मिली कि उसे मारने के लिए बनाई गई टीम में एजाज लकड़ावाला था, तो उसने अपने दाहिने हाथ कहे जाने वाले छोटा शकील को उसे ढूंढने का आदेश दिया. 2002 में एजाज लकड़ावाला पर शकील के शूटरों ने बैंकॉक में फायरिंग कर दी थी. इस फायरिंग में लकड़ावाला बुरी तरह से घायल तो हो गया लेकिन उसकी जान बच गई थी जिसके बादा वो कनाडा भाग गया था.