दाऊद इब्राहिम की अदालत में जाना गुटखा कारोबारी जगदीश जोशी को पड़ा भारी, अंडरवर्ल्ड ने झगड़ा सुलझा दिया लेकिन...
Dawood Ibrahim Gutkha Manufacturer Case: दाऊद इब्राहिम की मदद करना गुटखा कारोबारी जे. एम. जोशी को भारी पड़ गया. वो एक मामला सुलझाने के लिए दाऊद इब्राहिम की 'कोर्ट' में गए थे.
Dawood Ibrahim Gutkha Manufacturer Case: दाऊद इब्राहिम की 'अदालत' में जाना गुटखा कारोबारी जे. एम. जोशी को भारी पड़ गया. मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने गुटखा निर्माता जे. एम. जोशी को भगोड़े आतंकवादी दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों को पाकिस्तानी शहर कराची में इस उत्पाद का एक संयंत्र स्थापित करने में सहायता करने के मामले में सोमवार (9 जनवरी) को 10 साल की सजा सुनाई. साथ ही पांच लाख रुपये जुर्माना देने को कहा है.
जोशी और मामले में एक और आरोपी रसिकलाल धारीवाल के बीच पैसों को लेकर विवाद था और दोनों इसको सुलझाने के लिए इब्राहिम से मदद मांगी थी. इब्राहिम ने विवाद को निपटाने के बदले 2002 में कराची में एक गुटखा इकाई स्थापित करने के लिए उनकी सहायता मांगी थी. मुंबई अंडरवर्ल्ड की 80 और 90 के दशक में समांतर अदालतें चला करती थी. इस केस में दूसरे आरोपी धारीवाल की मौत के बाद उनके खिलाफ केस बंद हो गया.
ऐसा क्यों हुआ?
लोग सालों साल अदालतों के चक्कर काटते हैं, लेकिन मामलों के निपटारे में काफी वक्त लग जाता है. न्याय व्यवस्था की इस हालत ने 90 के दशक में मुंबई में एक समांतर न्याय व्यवस्था की शुरुआत की. इसमें अदालतें लगती थीं और अंडरवर्ल्ड डॉन तुरंत फैसला सुनाता था.
जे. एम. जोशी दाऊद इब्राहिम के संपर्क में कैसे आया?
गोवा गुटखा के मालिक जे.एम. जोशी को अब अपनी जिंदगी के दस साल जेल की सलाखों के पीछे गुजारने होंगे. मुंबई की विशेष मकोका अदालत ने उन्हें संगठित अपराध गिरोह से ताल्लुक रखने का दोषी करार दिया है. जोशी पर आरोप है कि उन्होने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान में गुटखा फैक्टरी लगाने में मदद की.
दरअसल जोशी 1997 तक माणिकचंद गुटखा के मालिक रसिकलाल धारीवाल के लिए काम किया करते थे. फिर उन्होने धारीवाल का साथ छोडकर अपना अलग ब्रैंड गोवा गुटखा शुरू किया. इसके बाद दोनों में विवाद हो गया और इसके निपटारे के लिए जोशी ने 2001 में डी कंपनी का दरवाजा खटखटाया. दाऊद की कोर्ट ने फैसला तो सुना दिया लेकिन कहा कि पाकिस्तान में गुटखा फैकट्री लगाने में उसकी मदद की जाए.
मामला कैसे आया सामने
दाऊद ने अपने गुटखा ब्रैंड का नाम फायर गुटखा रखा. इस कारोबार को चलाने की जिम्मेदारी छोटे भाई अनीस इब्राहिम और एक रिश्तेदार को दी गई. फैक्टरी लगाने में मदद की खातिर दोनों कारोबारियों के पाकिस्तान जाने का भी आरोप है. भारत से कारोबार स्थापित करने के लिए लोग और पौने तीन लाख रुपये की मशीनरी भी दुबई के रास्ते कराची भेजी गई, लेकिन इस बीच एक गड़बड़ हो गई.
मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने डी कंपनी के एक सदस्य को गिरफ्तार किया और उसने पूछताछ में ये उगल दिया कि दाऊद पाकिस्तान में गुटखे का कारोबार शुरू कर रहा है. इस काम में उसकी मदद भारत के दो गुटखा कारोबारी कर रहे हैं. इस मामले को लेकर काफी बवाल हुआ और जांच सीबीआई को सौंप दी गई.
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