(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'वक्फ की शक्तियां कमजोर बनाती हैं', मुस्लिमों का ये तबका क्यों कर रहा वक्फ कानून से बाहर रहने की मांग?
दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधियों ने सुप्रीम कोर्ट के कई उन फैसलों का हवाला दिया कि जिनमें उनकी विशिष्ट संरचना की मान्यता को रेखांकित किया गया है.
दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधियों ने वक्फ संशोधन विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति से मंगलवार (5 नवंबर, 2024) को आग्रह किया कि उनके समुदाय को किसी भी वक्फ बोर्ड के दायरे से बाहर रखा जाए. उनका कहना था कि वक्फ संशोधन विधेयक उनके विशेष दर्जे का उल्लेख नहीं करता.
इस समुदाय के प्रतिनिधियों की तरफ से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष पेश हुए. समुदाय द्वारा दिए गए एक लिखित आवेदन में कहा गया कि यह एक छोटा और मजबूती से जुड़ा हुआसंप्रदाय है.
यह पहली बार है जब मुस्लिम समुदाय के किसी संप्रदाय ने वक्फ कानून से खुद को बाहर रखे जाने की मांग की है. सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा, 'इसके मामलों को उस तरह के विनियमन की आवश्यकता नहीं है जिसे अन्य समुदायों के संबंध में आवश्यक या यहां तक कि वांछनीय माना जा सकता है.'
उनका कहना था कि यह आवश्यक है कि समुदाय के सदस्यों को उनकी मान्यताओं और आवश्यक धार्मिक प्रथाओं के अनुसार ऐसी संपत्तियों की स्थापना, रखरखाव, प्रबंधन और प्रशासन करने की अनुमति दी जाए. उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड की शक्तियां इस समुदाय के बुनियादी मत को कमजोर करती हैं.
दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधियों ने सुप्रीम कोर्ट के कई उन फैसलों का हवाला दिया कि जिनमें उनकी विशिष्ट संरचना की मान्यता को रेखांकित किया गया है.
हरीश साल्वे ने दाऊदी बोहरा की विशिष्ट विशेषताओं के बारे में विस्तार से तर्क दिया. उन्होंने विशेष रूप से इस समुदाय के नेता ‘अल-दाई अल-मुतलक’ को समुदाय से जुड़े मामलों में शक्तियों का उल्लेख किया और कहा कि किसी भी वक्फ बोर्ड को इस समुदाय की संपत्तियों और मामलों में दखल की अनुमति नहीं दी जा सकती.
जेपीसी कमेटी में शामिल विपक्षी दलों के सांसदों ने लोकसभा स्पीकर से कमेटी के चेयरपर्सन जगदंबिका पाल पर जल्दबाजी के दृष्टिकोण और एकतरफा फैसला लेने का आरोप लगाते हुए शिकायत की है. एक वरिष्ठ सांसद का कहना है कि ओम बिरला ने उनसे मामले को देखने का आश्वासन दिया है.