नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के विरोध का कई राज्यों में बुरा असर हुआ है. राजधानी दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए शनिवार को होने वाली सेमेस्टर की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. वहीं पश्चिम बंगाल में प्रदर्शनकारियों ने कई जगह सड़क और रेल मार्ग बाधित कर दिए हैं. नगालैंड के कई हिस्सों में भी जनजीवन प्रभावित हुआ है.
प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘आज होने वाली सेमेस्टर की सभी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है.’’ नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शुक्रवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों का मार्च रोकने के कारण प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प हो गयी थी. प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय से निकलकर संसद भवन की ओर जाना चाह रहे थे.
पश्चिम बंगाल में कई जगह सड़क एवं रेल मार्ग बाधित
पश्चिम बंगाल में भी इस कानून के खिलाफ आज भी जारी प्रदर्शन के तहत प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर सड़कें एवं रेल मार्ग बाधित रखे. पुलिस ने बताया कि मुर्शिदाबाद और उत्तरी 24 परगना जिलों और हावड़ा (ग्रामीण) से हिंसा की खबरें मिली हैं. उन्होंने बताया कि मुर्शिदाबाद में राष्ट्रीय राजमार्ग 34 और जिले की गई अन्य सड़कों को बाधित कर दिया गया. राष्ट्रीय राजमार्ग 34 उत्तरी और दक्षिणी बंगाल को जोड़ने वाला एक प्रमुख मार्ग है. प्रदर्शनकारियों ने हावड़ा जिले के दोम्जुर इलाके में राष्ट्रीय राजमार्ग छह भी बाधित कर दिया. उन्होंने पहियों में आग लगा दी और कई वाहनों में तोड़ फोड़ की.
नगालैंड के कई हिस्सों में जनजीवन प्रभावित
नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे नगा छात्र संघ (एनएसएफ) द्वारा आहूत छह घंटे के बंद के बीच नगालैंड के कई हिस्सों में शनिवार को स्कूल, कॉलेज और बाजार बंद रहे और सड़कों से वाहन नदारद रहे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन इलाकों से अब तक कोई अप्रिय घटना सामने नहीं आई है, जहां सुबह छह बजे से बंद शुरू हुआ है.
प्रदर्शनकारी परीक्षाओं में शामिल होने जा रहे छात्रों, ड्यूटी पर जा रहे चिकित्सा कर्मियों, मीडिया कर्मियों और शादियों में शामिल होने जा रहे लोगों को सड़कों से जाने दे रहे हैं. राज्य की राजधानी कोहिमा में भी बंद के कारण अधिकतर व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं खुले, जिससे पूरा क्षेत्र सुनसान पड़ा रहा. एनएसएफ के उपाध्यक्ष डिएवी यानो ने नागरिकता संशोधन विधेयक की निंदा करते हुए कहा कि इसमें पूर्वोत्तर के लोगों की भावनाओं का ध्यान में नहीं रखा गया.
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