डीसीपी सेंट्रल संजय भाटिया ने पेश की मानवता की एक नई मिसाल, सेक्स वर्कर की बच्ची का एडमिशन कॉन्वेंट में करवाया
डीसीपी संजय भाटिया ने मानवता की एक नई मिसाल पेश करते हुए सेक्स वर्कर की बच्ची का एडमिशन कॉन्वेंट में करवाया है. बाल निकेतन में बच्ची पांचवीं तक की पढ़ाई करेगी और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए बच्ची के बालिग होने तक पढ़ाई का सारा जिम्मा पुलिस का होगा.
नई दिल्लीः आज के परिवेश में इस कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. ये कहानी बताती है कि दुनिया में अभी भी इंसानियत बाकी है. दिल्ली के रेड लाइट एरिया के बारे में हर कोई जानता है. जी हां हम बात कर रहे हैं जी बी रोड की जो दिल्ली की एक बदनाम सड़क है. जहां करीब 30 कोठे हैं और 2000 से ज्यादा सेक्स वर्कर यहां काम करती हैं. जो अपने जिस्म को बेच कर खुद का और अपने बच्चों का पेट भरती हैं.
बच्ची का भविष्य बनाना चाहती है मां
ये कहानी उस महिला की है जो करीब 10 साल पहले इस बदनाम इलाके में पहुंची थी. इस महिला की एक 5 साल की बच्ची भी है, जो उसी के साथ रहती है लेकिन वो महिला नहीं चाहती थी कि उसकी बच्ची उसके साथ इस गंदे माहौल में रहे. वो नहीं चाहती थी कि इस बुरे माहौल का असर उसकी बच्ची पर पड़े. महिला चाहती थी कि उसकी बच्ची पढ़ लिख कर सभ्य समाज का हिस्सा बने. लिहाजा महिला ने पुलिस का दरवाजा खटखटाया, उसे उम्मीद थी कि शायद उसकी कोई मदद हो जाए.
डीसीपी संजय भाटिया ने बढ़ाए मदद को हाथ
ये बात इलाके के डीसीपी संजय भाटिया को पता चली तो उन्होंने तुरंत उस मासूम बच्ची की पढ़ाई का जिम्मा ले लिया. सबसे पहले बाल कल्याण विभाग से इजाजत ली गई और बच्ची को दिल्ली के लाजपत नगर के कस्तूरबा गांधी बाल निकेतन (कान्वेंट) में भेज दिया. बाल निकेतन में बच्ची पांचवीं तक की पढ़ाई करेगी और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए बच्ची के बालिग होने तक पढ़ाई का सारा जिम्मा पुलिस का होगा.
पुलिस उठाएगी पढ़ाई का खर्च
बच्ची की मां के मुताबिक जब से बच्ची ने बोलना शुरू किया तभी से ही बच्ची की पढ़ाई में काफी रुचि थी. एक दिन बच्ची ने अपनी मां को कहा कि वो डॉक्टर बनना चाहती है. उसके बाद से मासूम की मां ने तय किया कि कुछ भी करके बच्ची को इस दलदल से बाहर निकालना है. काफी दिनों से ये सेक्स वर्कर इस प्रयास में थी कि कैसे बच्ची को इस बदनाम सड़क से दूर किया जाए. किसी से मदद भी मांगी तो लोग जी बी रोड का नाम सुनते ही मुंह फेर लेते. लेकिन डीसीपी सेंट्रल संजय भाटिया ने बच्ची का एडमिशन करवाकर उसकी मां का सपना पूरा किया और मानवता की एक बेहतरीन मिसाल पेश की है.
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