हैदराबाद की जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अपने एक फैसले में कहा कि उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स नियम) 2020 के तहत किसी भी प्रोडक्ट को बेचने वाला विक्रेता उस देश की भी जानकारी दें जहां इसे बनाया गया है. उन्होंने ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए कहा कि ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रोडक्ट पर जरूरी जानकारी प्रदर्शित हो ताकि ग्राहक खरीदने वाले प्रोडक्ट के बारे में सब जान सकें. 


फैसले में कहा गया कि अगर विक्रेता ई-कॉमर्स नियमों का उल्लंघन करता है तो ई-कॉमर्स मार्केट प्लेस सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत बिचौलियों के लिए उपलब्ध "सुरक्षित बंदरगाह" प्रतिरक्षा को लागू नहीं कर सकता. 


दरअसल कई बार ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे अमेजन, फ्लिपकार्ट अपने ग्राहकों को गलत सामान बेचती हैं या अनेक प्रकार की ग़लत सेवाएं देती हैं और अपने पोर्टल पर बिक रहे सामान या दी जा रही सेवाओं पर कोई ज़िम्मेदारी न लेते हुए धारा 79 का सहारा लेती हैं. इस धारा की मदद से ये कंपनियां किसी भी कानूनी कार्रवाई से बच जाती हैं.


क्या है मामला 


मामला 2020 का है. आकाश कुमार नाम के एक शख्स ने उपभोक्ता फोरम में पेटीएम की शिकायत की थी. उन्होंने कहा कि उन्होंने पेटीएम के माध्यम से  13,440 रुपये में उषा सिलाई मशीन खरीदी थी. हालांकि जब उनके घर सामान डिलीवर हुआ और आकाश ने पैकेट खोला तो उसे पता चला कि मशीन थाईलैंड में बनी है. उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के नियम 6(5)(डी) के तहत सिलाई मशीन के निर्माता ने साइट पर उस मशीन को किस देश में बनाया गया है इसके बारे में जानकारी नहीं दी थी. वहीं क्योंकि प्रोडक्ट की कोई जानकारी नहीं दी गई थी इसलिए शिकायतकर्ता ने मान लिया कि उत्पाद भारत में बनाया गया है.  शिकायतकर्ता ने अपने शिकायत में कहा कि अगर ऑनलाइन पोर्टल पर ओरिजिन कंट्री के बारे में बताया गया होता तो वह इस सिलाई मशीन को नहीं खरीदता. 


वहीं दूसरी तरफ इस शिकायत का विरोध करते हुए Paytm ने कहा कि यह एक ऑनलाइन मार्केट प्लेस है, जो सभी विक्रेताओं को अपने उत्पादों को बेचने और ग्राहकों को खरीदने के लिए प्लेटफार्म प्रदान करता है. अब इस बीच विक्रेता और ग्राहक के बीच क्या बातचीत होती है इसका उनसे कोई सीधा संबंध नहीं है. 


वहीं निर्माता ने तर्क दिया कि देश के बारे में जानकारी नहीं देना व्यापार करने का सही तरीका नहीं है. वहीं इस शिकायत पर फैसला करते हुए यह कहा गया कि शिकायतकर्ता को अपने निर्णय को एक धारणा पर आधारित करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उसके पास निर्माता से स्पष्टीकरण मांगने का विकल्प है. फैसले में अनजाने में चूक के कारण शिकायतकर्ता को कोई नुकसान, चोट, मानसिक पीड़ा या आघात नहीं हुआ. 


फोरम ने क्या कहा


उपभोक्ता फोरम ने कहा कि "ग्राहक को बेचे जाने वाले सामान को किस देश में बनाया गया है इसका उल्लेख किए बिना किसी विशेष उत्पाद को खरीदने के लिए प्रेरित करना उपभोक्ताओं को वह जानकारी प्रदान नहीं करने के रूप में माना जा सकता है, जो ई-कॉमर्स नियम 2020 के तहत प्रदान की जानी है."


उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता का मामला प्रासंगिक नियमों के दायरे में आता है, यानी बिक्री के लिए दी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के बारे में मूल देश सहित सभी जरूरी जानकारी दी जानी चाहिए. ताकि किसी भी सामान को खरीदने से पहले उपभोक्ता अच्छे से फैसला कर सके. अनिवार्य जानकारी प्रदान नहीं करना भ्रामकता के अलावा और कुछ नहीं है, जो उपभोक्ता की पसंद को विकृत करता है।"


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