नई दिल्ली: गुरुवार को डीडीए (दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी) आवासीय योजना 2017 के लिए लकी ड्रॉ का आयोजन किया गया. इस दौरान दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएनअग्रवाल, आईआईटी के कम्प्यूटर साइंस के प्रोफेसर कोलिन पॉल और एनआईसी के डिप्टी डायरेक्टर जरनल विष्णु चंद्रा मौजूद रहे.


डीडीए के 12,617 फ्लैटों के लिए 46080 लोगों ने आवेदन किया था. 12,617 फ्लैटों में एचआईजी के 85, एमआईजी के 403, एलआईजी के 11,757 और जनता फ्लैट्स 372 हैं. ये फ्लैट्स रोहिणी, द्वारका, नरेला, वसंत कुंज, जसोला, पीतमपुरा, पश्चिम विहार और सिरसपुर जैसी जगहों पर हैं.


कुल चार चरणों में लकी ड्रॉ पुरी हुई है. लकी ड्रॉ रैंडम नंबर इंटीग्रेटेड सिस्टम पर आधारित था. सबसे पहले एप्लिकेशन का रैंडममाईज़ेशन किया गया उसके बाद ड्रॉ के बाकी प्रोसेस पूरे किए गए. हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएन अग्रवाल ने बताया की पूरे प्रोसेस में पारदर्शिता बरती गई है. पूरी कोशिश रही की ड्रॉ के हर प्रोसेस को पारदर्शी बनाया जाए. हम जिस हार्ड कॉपी पर दस्तखत कर रहे थे उसे भी रिकॉर्ड किया गया. पूरे प्रोसेस की सॉफ्ट और हार्ड कॉपी दोनों सुरक्षित रखी गई है.


डीडीए की आवास योजना प्रधानमंत्री आवास योजना के साथ लिंक है. अगर कोई आवेदक प्रधानमंत्री आवास योजना के मानको को पूरा करते हैं तो बैंक से ब्याज पर उन्हें डेढ़ से 2 लाख तक की छूट मिलेगी. 3000 फ्लैट्स कठपुतली कॉलोनी में बनाए जाएंगे और वहीं पर झुग्गी में रहने वालों को अलॉट किये जाएंगे. इसे 2 साल में पूरा कर दिया जाएगा.


सबसे पहले फिज़िकली डिसेबल आवेदक को फ्लैट अलॉट किए गए हैं. ग्राउंड फ़्लोर पर रिज़र्व कोटे के तहत फिज़िकल डिसेबल कैंडिडेट को प्राथमिकता दी गई.


फिज़िकल डिसेबल कैटेगरी में पहले सफल उम्मीदवार रहें नागेश्वर राव, एचआईजी फ्लैट द्वारका. जनरल कैटेगरी में पहले सफल उम्मीदवार रहीं नेहा मेहता, एलआईजी फ्लैट द्वारका. एससी कैटेगरी में पहला नंबर  प्रदीप कुमार का रहा, एचआईजी फ्लैट रोहिणी.


डीडीए के हाउसिंग प्रिंसिपल कमिश्नर जेपी अग्रवाल ने बताया की रियल स्टेट मार्केट डाउन चल रहा है और फ्लैट्स की कीमत में कमी आई है. इस वजह से इस बार आवेदक काम आए हैं. 2018 के लिए मार्च से जून के बीच आवेदन निकले जाएंगे. पूरे प्रोसेस को पारदर्शी बनाये रखने के लिए हमने बाहर से उन लोगों को जज बनाए हैं जो अपनी फील्ड के एक्सपर्ट हैं.


जिनके नाम लकी ड्रॉ में नहीं आये उन लोगों ने लकी ड्रॉ के पारदर्शिता पर सवाल भी उठाये. एक आवेदक ने बताया की इस बार फ्लैट्स अलॉटमेंट जिस सिस्टम के तहत किया गया वो मुझे सही नहीं लगा. रैंडम नंबर कैसे चुना गया ये बताया नहीं गया. मुझे बिल्कुल भी प्रोसेस पारदर्शी नहीं लगा. ये सिस्टम पूरी तरह से सही नहीं है इसमें भी सुधार किया जाना चाहिए.


सफल आवेदकों को अलॉटमेंट के लिए एक महीने का वक़्त दिया गया है. पेमेंट के लिए 3 महीने का वक़्त दिया गया है. अगर कोई आवेदक तीन महीने में पेमेंट नहीं कर पाता है तो उसे 12 फ़ीसद ब्याज के साथ 3 महीने का और वक़्त दिया जाएगा. अगर 6 महीने में भी आवेदक भुगतान नहीं कर पाएंगे तो आवेदन को रद्द कर दिया जाएगा.