Jasmine Shah Removal: दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच एक बार फिर से तनातनी बढ़ गई है. इस बार मामला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा प्लानिंग डिपार्टमेंट को DDCD के वाइस चेयरमैन जैस्मिन शाह के खिलाफ की गई कार्रवाई को वापस लेने के निर्देश को लेकर है. 


अब इस मामले में एलजी दफ्तर की और से प्रतिक्रिया आई है. एलजी ऑफिस की ओर से कहा गया है कि डीडीसीडी को लेकर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के 8 दिसंबर 2022 को दिया आदेश जानबूझकर ध्यान हटाने के लिए है, जबकि 30 नवंबर 2022 को दिल्ली के प्लानिंग डिपार्टमेंट के मंत्री और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की भेजी गई फाइल का निस्तारण किया जा चुका है.


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की फाइल में योजना विभाग के 17 नवंबर 2022 के जैस्मिन शाह को डीडीसीडी के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह के रूप में कार्य करने और उसके बाद की सुविधाओं का लाभ उठाने से प्रतिबंधित करने के आदेश को वापस लेने के लिए कहा गया था.


एलजी की ओर से क्या कहा गया?


उपराज्यपाल वीके सक्सेना के ऑफिस के मुताबिक एलजी ने संविधान के अनुच्छेद 239AA(4) के तहत विषय पर मतभेद होने पर ToBR, GNCTD, 1993 के नियम 50 के अनुसार इस मामले को अंतिम निर्णय के लिए भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा था. इस बारे में एलजी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी लिखित सूचना दी थी. 


निर्णय अब तक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास लंबित है, इस कारण इस संबंध में कोई भी फैसला नहीं लिया जा सका है. ऐसे में आरोप है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस संवैधानिक स्थिति को पूरी तरह से जानते हुए भी 8 दिसंबर 2022 को एक अवैध आदेश पारित किया. इसके अलावा इस मामले में खुद जैस्मिन शाह ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जो कोर्ट में विचाराधीन है. 


मामला क्या है?


आपको बता दें कि दिल्ली के प्लानिंग डिपार्टमेंट ने एलजी वीके सक्सेना के निर्देश पर 17 नवंबर को DDCD के उपाध्यक्ष जैस्मिन शाह के ऑफिस और सुविधाओं के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. सिविल लाइंस के SDM ने जैस्मिन शाह के दफ़्तर को सील कर दिया था. 


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्लानिंग डिपार्टमेंट को 8 दिसंबर को एक आदेश जारी कर 17 नवंबर को जारी आदेश वापस को लेने का निर्देश दिया था. अब उपराज्यपाल की ओर से इसे असंवैधानिक कदम करार दिया गया है.


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