शिलांग: मेघालय के पश्चिमी जयंतिया हिल्स जिले के सुदूर गांव में जहरीले मशरूम छह लोगों की मौत का कारण बन गए. इन मशरूमों की पहचान अमानिता फेलोइड्स के तौर पर की गई है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को कहा कि इसे आम तौर पर 'डेथ कैप' मशरूम कहा जाता है.


पिछले महीने अमलारेम सिविल उपमंडल में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित लामिन गांव के छह लोगों की मशरूम के सेवन के बाद मौत हो गई थी. जिसे वे पास के एक जंगल से तोड़कर लाए थे. मरने वालों में 14 साल की एक लड़की भी थी.


लिवर को होता है नुकसान


राज्य स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक डॉ.अमन वार ने बताया कि इस जंगली मशरूम की पहचान अमानिता फेलोइड्स के तौर पर की गई है जो सीधे लिवर को नुकसान पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि जांच में मौत का कारण जहरीले मशरूम के होने का पता चलने के बाद इसकी पुष्टि हुई.


मशरूम खाने के बाद तीन परिवार के कम से कम 18 लोग बीमार पड़ गए थे. वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि जहरीले मशरूम को खाने के बाद उलटी, सिरदर्द और बेहोशी जैसे लक्षण सामने आते हैं.


कई लोगों की बची जान


उन्होंने बताया कि बीमार पड़ी गर्भवती महिला समेत ज्यादातर अन्य लोग ठीक होकर अपने घर चले गए हैं. इसलिए, इसके सेवन के बाद भी लोग बच सकते हैं क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कितनी मात्रा में इसका सेवन किया है. डॉक्टर ने बताया कि केवल एक व्यक्ति पर इसका असर नहीं हुआ क्योंकि हो सकता है उसने ज्यादा मात्रा में इसका सेवन नहीं किया था.


डॉ.वार ने बताया कि तीन लोगों का अब भी इलाज चल रहा है और वे स्वस्थ हो रहे हैं. दो लोग पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं आयुर्विज्ञान संस्थान (एनईआईजीआरआईएचएमएस) में और एक व्यक्ति वुडलैंड अस्पताल में भर्ती हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग सिर्फ लोगों से, खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वालों से जंगली मशरूम न खाने की अपील कर सकता है जबकि उद्यान विभाग को जागरुकता पैदा करने के लिए कदम उठाने चाहिए.


ये भी पढ़ें


कोरोना मरीज की मौत के बाद सील किया गया नोएडा का फ्लिक्स हॉस्पिटल

केंद्र और बंगाल सरकार का झगड़ा जारी, अब अमित शाह ने लिखी ममता को चिट्ठी, मजदूरों की अनदेखी का आरोप