जम्मू में कोरोना से हो रही मौतों ने स्वास्थ्य सेवाओं की खोली पोल, प्रदेश में बिगड़े स्वास्थ्य ढांचे को किया बेनकाब
जम्मू में न केवल कोरोना ने तेजी से अपने पांव पसारे थे, बल्कि इस महामारी ने हजारों लोगों की जान भी ली थी. इस महामारी ने जम्मू कश्मीर में स्वास्थ्य सेवाओं की बदतर हालत को उजागर किया.
जम्मू: जम्मू में जहां कोरोना वायरस से बड़ी तादाद में हो रही मौतों ने यहां के स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है, वहीं इस महामारी ने प्रदेश में बिगड़े स्वास्थ्य ढांचे को भी बेनकाब कर दिया है. जम्मू में न केवल कोरोना ने तेजी से अपने पांव पसारे थे, बल्कि इस महामारी ने हजारों लोगों की जान भी ली थी. इस महामारी ने जम्मू कश्मीर में स्वास्थ्य सेवाओं की बदतर हालत को उजागर किया तो वहीं इसी बीमारी ने स्वास्थ्य विभाग के उस बिगड़े ढांचे को भी बेनकाब कर दिया जिसके सहारे प्रदेश सरकार कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने चली थी.
जम्मू से करीब 50 किलोमीटर दूर भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे अखनूर सेक्टर के पलावाला में स्वास्थ्य विभाग के बिगड़े ढांचे की तस्वीर सामने आई है. करीब तीस हजार लोगों के लिए यहां बनाए गए प्राइमरी हेल्थ सेंटर की दशा ऐसी है कि यहां मरीजों के बजाय कुत्ते घूम रहे हैं. दरअसल, यहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के मकसद से प्रदेश के पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट की एक बिल्डिंग में इस प्राइमरी हेल्थ सेंटर को खोला गया था लेकिन करीब 2 साल पहले इस बिल्डिंग को असुरक्षित घोषित कर दिया गया था.
खोखले वादे
इसके बाद इस प्राइमरी हेल्थ सेंटर को यहां से शिफ्ट कर दिया गया. इस हेल्थ सेंटर को यहां से शिफ्ट करते समय यहां की जनता से यह वादा भी किया गया कि साल भर में नया हेल्थ सेंटर बनकर तैयार कर दिया जाएगा. जानकारी के मुताबिक पिछले 2 सालों से सरकार ने इस हेल्थ सेंटर को लेकर कुछ नहीं किया. लोगों के मुताबिक इस इलाके में छोटी से छोटी बीमारी के इलाज के लिए लोगों को जम्मू जाना पड़ता है. लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि यहां पर जो भी मंत्री या अधिकारी आते हैं वो यही कह के जाते हैं कि यह सेंटर बहुत जल्द बनेगा, लेकिन अब तक यह सेंटर नहीं बन पाया है.
लोगों ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आम जनता की परेशानियों को लेकर गंभीर नहीं है. लोगों ने आरोप लगाया कि अगर यह हेल्थ सेंटर यहां पर होता तो उन्हें छोटी से छोटी बीमारी के इलाज के लिए जम्मू नहीं जाना पड़ता. लोगों ने यह भी कहा कि सभी मंत्रियों और अधिकारियों ने यहां की जनता को खोखले आश्वासन दिए हैं और इस महामारी के समय भी आसपास के करीब 23 गांवों के लोगों को इलाज के लिए कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल के अंतराल में बिल्डिंग बनाना तो दूर एक अस्पताल में एक बेड भी नहीं लग पाई है.
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