ग्वालियर: मध्य प्रदेश में पिछले दो सालों में बलात्कार के 28 मामलों में दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (अभियोजन) पुरुषोत्तम शर्मा ने सोमवार को कहा, ‘‘दुष्कर्म करने वालों को सजा दिलाने में मध्य प्रदेश पुलिस का रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है. पिछले दो साल में राज्य में दुष्कर्म के 28 मामलों में दोषियों को फांसी की सजा मिली है.’’
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि वर्ष 2018 में दुष्कर्म और दुष्कर्म कर हत्या के 19 मामले सामने आए थे, जिनमें से 18 मामले नाबालिगों के थे. इन सभी 19 मामलों में दोषियों को फांसी की सजा हुई है.
शर्मा ने बताया कि इसी प्रकार 2019 में भी 9 मामले दुष्कर्म के हैं, जिनमें फांसी की सजा हुई है.
शर्मा ने बताया कि पुलिस अभियोजन विभाग ने पोक्सो और दुष्कर्म के मामले में एक त्रिस्तरीय व्यवस्था लागू की है. इसका जिला अभियोजन अधिकारी पूरे सबूत देखेगा, जिससे केस मजबूत बना रहे.
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के मुख्यालय में हर मामले की निगरानी वह खुद करेंगे. इसके साथ हर जिला स्तर पर एक ‘गवाह सहायता डेस्क’ बनाई है, जिसमें गवाह को अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए तैयार किया जाएगा. उन्होंने बताया कि अभी तक दुष्कर्म के कई मामलों में गवाहों को लोग प्रभावित कर देते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
शर्मा ने बताया कि पीड़ित से लेकर गवाहों को सुरक्षा से लेकर अदालत तक आने-जाने का खर्चा तक विभाग देगा.
उन्होंने बताया कि कटनी में एक बच्चे के दुष्कर्म के मामले में विभाग ने मात्र पांच दिन में पूरे सबूत एकत्र करके फांसी की सजा दिलाई थी. इसलिए ऐसे सभी मामलों को मजबूती से फास्ट ट्रैक कोर्ट में लेकर काम किया जाएगा.
शर्मा ने कहा कि प्रदेश में अभियोजन अधिकारियों की कमी नहीं हो, इसके लिए विभाग ने 324 पदों को भरने के लिए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को जानकारी भेज दी है. जल्दी ही इन पर नियुक्ति होगी, जिससे उनके अधिकारी अदालत में और बेहतर तरीके से पीड़ितों का पक्ष रख पाएंगे.
आरोपियों को तड़पा-तड़पा कर मारना चाहिए- शिवराज सिंह चौहान
हाल ही में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देशभर में महिलाओं के खिलाफ हो रही अपराध की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की. इसके साथ ही उन्होंने बलात्कार की घटना के दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की है. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बलात्कारी चाहे हैदराबाद, उन्नाव या भोपाल के हों, मौत की सजा ही एकमात्र उपाय है. उन्होंने कहा कि इन मामले में आरोपियों को तड़पा-तड़पा कर मारना चाहिए क्योंकि मानवाधिकार मनुष्य के होते हैं राक्षसों के नहीं.
दिल्ली अग्निकांड: मामले की जांच हुई तेज, पुलिस ने घटनास्थल से जुटाए सबूत
लोकसभा से पास हुए ‘नागरिकता संशोधन बिल’ का पूर्वोत्तर में भारी विरोध, लेकिन क्यों?
झारखंड चुनावः बीजेपी ने सरयू राय समेत बीस नेताओं को छह साल के दिखाया बाहर का रास्ता