Death Penalty In Qatar: नौसेना के पूर्व आठ जवानों को कतर में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय उन्हें राहत दिलाने के लिए हर संभव कोशिश में जुटी है. हालांकि दोनों देशों की तरफ से मामले को लेकर विस्तृत जानकारी फिलहाल नहीं दी गई. इस बीच देश में इसको लेकर बयानबाजी शुरू हो गई. कांग्रेस ने कहा कि वो ये मुद्दा पहले से उठा रहे हैं, लेकिन ध्यान नहीं दिया गया. वहीं बीजेपी का कहना है कि विदेश मंत्रालय ने रुख स्पष्ट कर दिया है. 


कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि वो ये मामला लगातार उठा रहे थे. उन्होंने वीडियो शेयर करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि मैंने मामला सात दिसंबर 2022 को लोकसभा में उठाया. मैं ये मामला सदन के भीतर और बाहर में उठाता रहा. 


मनीष तिवारी ने क्या कहा?
मनीष तिवारी ने कहा कि हमें पता चला कि सभी 8 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई गई है. उनके परिवारों को कभी यह नहीं बताया गया कि उन पर क्या आरोप हैं. मुझे बताया गया है कि उनके बचाव के लिए नियुक्त वकील भी परिवारों के साथ टाल-मटोल कर रहे हैं.  


उन्होंने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर परिवार के सदस्यों, पूर्व सैनिक और यहां तक ​​कि संसद सदस्यों की विनती को भी कभी गंभीरता से नहीं लेते. पीएमओ को इसे कतर सरकार के साथ उच्चतम स्तर पर उठाना चाहिए. हमारे पूर्व नौसेना अधिकारियों की सजा को तुरंत कम करवाकर उन्हें घर वापस लाना चाहिए. 


एस जयशंकर का किया जिक्र
मनीष तिवारी ने जो वीडियो शेयर किया है. उसमें वो कह रहे हैं, ''नौसना के आठ रिटायर अधिकार को कतर के दोहा में सॉलिटरी कन्फाइनमेंट में रखा गया है. इन लोगों और इनके परिवार को नहीं बताया गया कि इनके खिलाफ क्या आरोप है. नब्बे दिन बाद पेश करने के बाद नौसेना के पूर्व कर्मियों की सॉलिटरी कन्फाइनमेंट की अवधि 30 दिन और बढ़ा दी गई.''  






उन्होंने आगे कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर अभी आएंगे. ये पूरा मामला बहुत ही गंभीर है. एक पड़ोसी देश में हमारे नौसेना के अधिकारी रहे सॉलिटरी कन्फाइनमेंट में रहे फिर भी भारतीय दूतावास को भी नहीं बताया गया कि क्या आरोप है. भारत सरकार से अनुरोध है कि कतर के सरकार से सामने मामले उठाया जाए. 


शशि थरूर क्या बोले?
शशि थरूर ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘यह जानकर स्तब्ध हूं कि कतर ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई है. मामले का ब्यौरा रहस्य और अस्पष्टता में घिरा हुआ ह.। विश्वास है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और विदेश मंत्रालय मदद करने और उन्हें घर लाने के लिए कतर सरकार के साथ उच्चतम स्तर पर तत्काल कदम उठाएगा.''






बीजेपी क्या बोली?
बीजेपी ने शुक्रवार को कहा कि मौत की सजा पाए भारतीय नौसेना के सभी आठ पूर्व कर्मियों को वापस लाने के लिए भारत कानूनी लड़ाई लड़ेगा. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक ने इस मामले से संबंधित एक सवाल के जवाब में कहा कि विदेश मंत्रालय पहले से ही इस मामले को देख रहा है. 


उन्होंने कहा, ‘‘हम यह देखकर हैरान हैं कि ऐसी चीजें भी होती हैं. हम इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय भी है. मुझे लगता है कि भारत सरकार अपना पक्ष रखेगी और हम निश्चित रूप से उन्हें वहां से वापस लाने में सफल होंगे.’’


विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस फैसले से बेहद स्तब्ध है, इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है. ये सभी आठ भारतीय नागरिक अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी हैं जिन्हें पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया गया था. 


मंत्रालय ने कहा, ‘‘हम मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से बेहद स्तब्ध हैं और फैसले के विस्तृत ब्योरे की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हम परिवार के सदस्यों और कानूनी टीम के संपर्क में हैं. हम सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. ’’कतर में भारत के राजदूत ने राजनयिक पहुंच मिलने के बाद एक अक्टूबर को जेल में बंद इन भारतीयों से मुलाकात की थी.  


न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों में कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश शामिल हैं. 


इनपुट भाषा से भी. 


ये भी पढ़ें- कतर में 8 भारतीयों को मृत्‍युदंड: फांसी के फंदे से बचाने के लिए इंडिया के पास 4 कानूनी- कूटनीतिक रास्ते