भोपाल: मध्य प्रदेश में जहरीली शराब कहर ढहा रही है. मंदसौर जिले में शराब से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. 24 जुलाई से हो रही मौतों की संख्या बढ़कर अब सात पहुंच गई है. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार मरने वालों की संख्या छिपा रही है. कम से कम दस लोगों ने सस्ती जहरीली शराब पीकर दम तोडा है. शराब कांड की जांच करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एसीएस डॉ. राजेश राजौरा की अगुआई में तीन सदस्यीय एसआईटी बना दी है.
ये जांच दल मंदसौर पहुंच गया है और तफ्तीश शुरू कर दी है. राजस्थान की सीमा से लगे इस जिले में जिन जगहों पर मौत हुई है वो पूरा इलाका आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा का विधानसभा क्षेत्र है. प्रशासन ने कार्रवाई के नाम पर सड़क किनारे बने ढाबों को गिराया है मगर इस शराब कांड के पीछे कौन लोग हैं? अब तक पुलिस पता नहीं लगा पाई है. जांच के लिए मंदसौर पहुंचे एसीएस राजेश राजौरा ने माना कि मंदसौर जिले में सात लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है.
मौतों को रोकने की कोशिश
राजस्थान और यूपी की सीमा पार सस्ती शराब होने से वहां से एमपी शराब लाई जा रही है और अब आबकारी नीति में बदलाव कर ऐसी मौतों को रोकने की कोशिश की जाएगी. मंदसौर के अलावा इंदौर खंडवा और खरगोन में भी जहरीली शराब से मौतें हुई है. जिससे सरकार के हाथ पैर फूल गए हैं. इंदौर में शराब पीने के बाद दो लोगों की संदिग्ध मौत को भी शराब से जोड़ कर देखा जा रहा है तो खंडवा में चार लोगों ने शराब पीकर दम तोडा है. खरगोन के सनावद में भी तीन लोगों की शराब से मौत की खबर आई है.
इन सारे मामलों को जोड़कर देखें तो मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में ही शराब पीकर अब तक 14 लोगों ने जान दे दी है. सरकार ने मंदसौर कांड में जिला आबकारी अधिकारी, पिपलिया मंडी थाने के प्रभारी और सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया है. शराब बेचने वालों को पकड़ने के लिए राजस्थान में भी छापेमारी की गई है. हैरानी इस बात की है कि उज्जैन में पिछले साल अक्टूबर में जहरीली शराब पीकर चौदह लोगों ने दम तोडा था. उसके बाद भी ऐसी ही एसआईटी गठित की थी लेकिन उसकी सिफारिशों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
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