संविधान का मुद्दा इन दिनों देश की सियासत में छाया हुआ है. संविधान के 75 साल पूरे होने के अवसर पर मंगलवार (26 नवंबर 2024) को सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति के संबोधन के बाद अब संसद में भी इस पर चर्चा की जाएगी. कांग्रेस ने इस चर्चा की मांग की थी, जिस पर सरकार ने सहमति दे दी है. लोकसभा अध्यक्ष को नेता विपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा सभापति को नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्र लिखा था.
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, बुधवार (27 नवंबर 2024 ) को राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमिटी की बैठक में सत्ता पक्ष की ओर से इस पर सहमति जताई गई. हालांकि, चर्चा की तारीख़ अभी तय नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद है कि अगले सप्ताह इसके लिए दो दिन निर्धारित किए जा सकते हैं. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भरोसा जताया कि राज्यसभा की तरह ही लोकसभा में भी संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा होगी.
संविधान पर चर्चा से खत्म होगा गतिरोध?
चर्चा के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल बीजेपी सरकार पर संविधान के मूल्यों से समझौता करने का आरोप लगा सकते हैं. वहीं, बीजेपी के लिए यह पलटवार करने का भी अच्छा अवसर होगा. हालांकि, देखना होगा कि क्या संविधान पर चर्चा के सहारे संसद का मौजूदा गतिरोध खत्म हो पाएगा.
पिछले दो दिनों से अदाणी और संभल के मुद्दों पर दोनों सदनों में कोई कामकाज नहीं हो सका है. विपक्ष इन मुद्दों पर चर्चा की माँग कर रहा है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, संविधान पर चर्चा के दौरान वे इन मुद्दों को भी उठा सकेंगे.
26 नवंबर को क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस?
26 नवंबर को संविधान दिवस मनाने का प्रमुख कारण यह है कि इसी दिन 1949 में भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था. हालांकि, संविधान 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ, लेकिन 26 नवंबर का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इसी दिन संविधान सभा ने संविधान को स्वीकार किया और इसे देश के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज़ के रूप में अपनाया. इस दिन को मनाने का मकसद भारतीय संविधान के महत्व को समझाना और नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना है. 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी.
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