जालंधर : होशियारपुर के मोहदीपुर गांव में बीते शुक्रवार की रात किसान जगतार सिंह बाजवा (70) जो अपने गांव के सरपंच रह चुके थे और वर्तमान में नंबरदार थे और उनके बेटे कृपाल सिंह बाजवा (40) ने आत्महत्या कर ली थी. दोनों पिता-पुत्र किसान आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग ले रहे थे. मरने से पहले बेटे द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट में उनके इस कदम के लिए केंद्र को दोषी ठहराया, साथ ही यह भी इंगित किया कि पंजाब की कांग्रेस सरकार उनके कर्ज माफ करने में विफल रही.


अब यह पता चला है कि 2017 में घोषित राज्य सरकार की ऋण माफी योजना के लिए पात्र होने के बावजूद सहकारी सोसायटी ने अपना कर्ज वसूलने के लिए छह महीने पहले उन्हें घर और संपत्ति की नीलामी के बारे में सूचना भेजी थी. वहीं, पंजाब सरकार के सूत्रों का दावा है कि हाल ही में कर्ज माफी की उनकी फाइल को मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन सोसायटी द्वारा उन्हें इसके बारे में सूचित नहीं किया गया था.


जगतार 3 एकड़ जमीन वाला एक छोटा किसान था, जिसमें से उसने अपने दो बेटों को एक-एक एकड़ जमीन हस्तांतरित की थी. एक एकड़ का एक हिस्सा उन्होंने एक निजी बैंक से ऋण का भुगतान करने के लिए कुछ साल पहले बेची थी. पिता और पुत्र पर कुल मिलाकर 6.50 लाख रुपए का कर्ज था.


जगतार के बड़े बेटे को मिला था नोटिस


जगतार के बड़े बेटे इंद्रजीत अलग घर में रहते हैं और ठेके की जमीन पर खेती करते हैं. उन्होंने पिछले साल 21 अगस्त को उस्मान सईद मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसायटी से नोटिस प्राप्त किया था. कृपाल सिंह को संबोधित नोटिस में यह उल्लेख किया गया था कि उन्होंने 31 जुलाई 2018 को 1,67, 365 रुपए का ऋण लिया है और डिफॉल्टर हैं. इस पर ब्याज की राशि 38,053 रुपए जोड़कर कुल ऋण राशि 2,05,418 रुपए बनता है. जिस समय पंजाब सरकार ने कर्ज माफी योजना शुरू की थी, उस समय ब्याज के साथ उनकी कुल देय राशि 2 लाख रुपए से कम थी.


नोटिस में कृपाल को 15 दिनों के भीतर राशि लौटाने या पंजाब सहकारी सोसायटी अधिनियम 1961 की धारा 63 सी के तहत कार्रवाई का सामना करने का निर्देश दिया गया था. इसके तहत गिरफ्तार करने या ऋण की वसूली के लिए घर और संपत्ति की नीलामी की बात कही गई थी. नोटिस में कहा गया था कि यह नोटिस गारंटर पर भी लागू है, जो जगतार सिंह थे.


सोसायटी के सचिव ने कहा- नोटिस की जानकारी नहीं


उधर, सोसायटी के सचिव अमृत सिंह ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी नोटिस की जानकारी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि कर्ज माफी के लिए उनकी फाइल को सरकार ने पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में मंजूरी दे दी थी. मृतकों के घर से पंजाबी में लिखे दो अलग-अलग सुसाइड नोट बरामद हुए हैं. दोनों नोटों में कहा गया है कि हर राजनीतिक दल को किसानों के वोटों की चिंता थी और किसी को भी उनकी चिंता नहीं थी.