नई दिल्लीः देश के किसी भी युद्ध या फिर मिलिट्री ऑपरेशन्स के इतिहास को अब 25 साल के भीतर डिक्लासीफाइ करना होगा. इस बावत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीति निर्धारित कर दी है. इसके साथ ही किसी भी यु्द्ध  के दो साल के भीतर एक उच्च-स्तरीय कमेटी गठित की जाएगी, जो युद्ध और मिलिट्री ऑपरेशन्स से जुड़े सभी दस्तावेजों को आर्काइव करने का काम करेगी.


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पॉलिसी तैयार कर दी है जिसके तहत किसी भी युद्ध या फिर ऑपरेशन के इतिहास को आर्काइव करने से लेकर डिक्लासीफिकेशन, कम्पाईलेशन और पब्लिकेशन तक को स्पष्ट कर दिया गया है. इसके लिए रक्षा मंत्रालय के अधीन 'हिस्ट्री डिवीजन' को समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई है.  


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, अब थलसेना, वायुसेना, नौसेना, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ, कोस्टगार्ड और असम राईफल्स को किसी भी युद्ध या फिर मिलिट्री ऑपरेशन्स से जुड़ी वॉर-डायरी, लैटर, ऑपरेशन्ल रिकॉर्ड से लेकर प्रक्रिया से जुड़े सभी दस्तावेज हिस्ट्री डिवीजन के हवाले करने होंगे ताकि उनकी उचित देखरेख तो ही सके बल्कि उनका आर्काइव और लिखित-इतिहास भी तैयार किया जा सके. 


कमेटी में सेना के तीनों अंग (थलसेना, वायुसेना, नौसेना) के सैन्य अफसरों सहित, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और सैन्य-इतिहासकार शामिल होंगे ताकि वॉर-हिस्ट्री को ठीक प्रकार से लिखा जा सके. कमेटी को तीन साल के भीतर सभी दस्तावेजों का संकलन करना होगा. 


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सभी रिकार्ड्स के डिक्लासीफिकेशन की जिम्मेदारी संबंधित सर्विसेज़ यानि थलसेना इत्यादि के पास ही होगी. हालांकि, पब्लिक रिकॉर्ड्स एक्ट 1993 और पब्लिक रिकॉर्ड रूल्स 1997 के अनुसार 25 साल के बाद किसी भी सरकारी दस्तावेज को 25 साल बाद डिक्लासीफाइ किया जा सकता है. 25 साल से ज्यादा पुराने रिकॉर्ड्स को हिस्ट्री लिखने के बाद नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया को सहज कर रखने के लिए सौंप दिए जाएंगे. 
 
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, समय से किसी भी युद्ध से जुड़े इतिहास को सार्वजनिक करने से लोगों को सटीक जानकारी मिलेगी और रिसर्च करने में मदद मिलेगी और अफवाहें भी नहीं फैलेंगी. 


आपको बता दें कि 1962 का युद्ध हो या फिर 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार या फिर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक, किसी की भी कोई जानकारी आजतक सार्वजनिक नहीं की गई है. करगिल युद्ध के बाद बनी सुब्रमण्यम कमेटी और एनएन वोहरा कमेटी तक वॉर हिस्ट्री और डिक्लासीफिकेशन की जरूरत पर अपने सुझाव दे चुकी हैं ताकि गलतियों को सुधारकर दोहराया ना जा सके.


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