श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच वैक्सीनेशन की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है. पवित्र रमजान महीने के आते ही आम लोगों ने वैक्सीन लेना लगभग बंद कर दिया है, जिसके कारण वैक्सीन लगाने के आंकड़ों में 50 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आ गई है.


श्रीनगर के सब से बड़े अस्पताल SMHS अस्पताल में बना कोविड वैक्सीन सेंटर आज लगभग खाली है. सेंटर के नोडल अफसर डॉ. मोहम्मद इकबाल के अनुसार जहां रमजान के महीने से पहले प्रतिदिन 250-300 लोग यहां रोजाना वैक्सीन के लिए आते थे. वही अब रमजान के रोजों के कारण यह आंकड़ा 60-70 हो गया है और इनमें भी ज्यादातर वह लोग हैं जो या तो मेडिकल फ्रंटलाइन वर्कर हैं या फिर दूसरा डोज लगाने वाले हैं.


वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या में आई कमी 
स्वास्थ विभाग के आंकड़ों के अनुसार पूरे प्रदेश में यह कमी देखने को मिल रही है. जहां रमजान से पहले प्रतिदिन 45 हजार से ज्यादा लोगों को हर दिन वैक्सीन लगाई जा रही थी. वहीं 14 अप्रैल को रमजान के पहले दिन यह आंकड़ा 31 हजार तक पहुंच गया और उसके बाद से लगतार कम हो रहा है.


कश्मीर घाटी में कोरोना वैक्सीनेशन के नोडल अफसर डॉ. सलीम-उर-रहमान के अनुसार यह पहले से उम्मीद थी कि रमजान के महीने में वैक्सीन लेने वालों की संख्या में कुछ कमी हो सकती है और इसलिए धर्मगुरु और मुफ्तियों की मदद से यह अपील जारी करवाई गई थी कि इस वैक्सीन के लेने से रोजा नहीं टूटेगा लेकिन इसके बावजूद भी लोग शायद इस महामारी की गंभीरता नहीं समझ पा रहे हैं. 


जो लोग वैक्सीन लगाने के लिए सेंटर में आ रहे है वह भी लोगों से अपील कर रहे हैं कि  वैक्सीन लगाने से रोजा नहीं टूटता. कश्मीर के सबसे बड़े धार्मिक कानून जानने वाले मुफ्ती अजम भी इस पर फतवा जारी कर चुके हैं. मुफ्ती नसरुदीन के अनुसार वैक्सीन लगाने से रोजे पर कोई असर नहीं पड़ता और लोगो को महामारी से बचने के लिए इसे जरूर लगाना चाहिए.


रमजान के महीने में आमतौर पर ज्यादा संख्या में लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ने और इफ्तार के लिए जाते हैं. जिससे इन जगहों पर भीड़ बढ़ जाती है. हालांकि कोरोना प्रोटोकॉल के बाद लोग मस्जिदों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं लेकिन बड़ी भीड़ और कम वैक्सीनेशन की दर कश्मीर के लिए "कोरोना बम" बन सकती है. जम्मू कश्मीर में पिछले एक हफ्ते से लगातार रोजाना एक हजार से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामले रिकॉर्ड हो रहे हैं. जिसके कारण मार्च के अंत में जहां एक्टिव पॉजिटिव मामले 600 के करीब थे वो अब बढ़ कर 11 हजार के पार चले गए हैं.


इसके साथ ही जम्मू कश्मीर आने वाले पर्यटकों की सिर्फ हवाई अड्डे पर रैपिड टेस्टिंग भी एक खतरे की घंटी है. जहां बाकी कई प्रदेशों ने संक्रमण की महामारी झेल रहे राज्यों- महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब और गुजरात से आने वाले यात्रियों के लिए RT-PCR करना अनिवार्य किया है. वहीं जम्मू कश्मीर में अभी तक ऐसी कोई भी शर्त लागू नहीं है. जिसके कारण संक्रमित हुए यात्रियों का आना लगातार जारी है. पिछले एक हफ्ते में 20-25 प्रतिशत पॉजिटिव मामले यात्रियों के ही पाए गए हैं. 


वैक्सीन ना लगाने से खतरा कई गुना बढ़ा
विशेषज्ञों की ओर से लोगों को बड़ी संख्या में वैक्सीन लगवाने के लिए जोर दिया जा रहा है. सरकार ने अप्रैल के महीने में सभी दिनों में वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम शुरू किया था ताकि कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने को रोका जा सके. लेकिन अब लोगों के रोजों के चलते वैक्सीन न लगाने से खतरा कई गुना बढ़ गया है. इसलिए सरकार की तैयारियां अब दूसरी दिशा में बढ़ने लगी है.


श्रीनगर के SKIMS अस्पताल में OPD और इलेक्टिव सर्जरी फिलहाल बंद कर दी गई है और SMHS मेडिकल कॉलेज अस्पताल में OPD बंद किए जाने के साथ-साथ 36 बिस्तर वाले 12 वार्ड को कोविड सेंटर में बदल दिया गया है. इसके साथ सभी कोविड सेंटर में ऑक्सीजन प्लांट और दवाई की सप्लाई भी बड़ा दी गई है. अभी तक कश्मीर घाटी में कहीं से भी अस्पताल से दवाइयों और ऑक्सीजन की कमी की खबर नहीं आयी है.


श्रीनगर के चेस्ट डिजीज अस्पताल के प्रमुख डॉ. नवीद नजीर शाह के अनुसार हर अस्पताल में कोविड और आम मरीजों के लिए अलग-अलग ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं और फिलहाल ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं हैं. लेकिन डॉ. नवीद के अनुसार अगर आंकड़े इसी रफ्तार से बड़े तो अस्पतालों पर भी असर पड़ेगा. इसलिए लोगों को सतर्कता और वैक्सीनेशन पर बल देना होगा.


इसलिए सभी डॉक्टर और विशेषज्ञ लोगो को कोरोना प्रोटोकॉल मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की सलाह दे रहे हैं. ताकि कोरोना की दूसरी लहर को रोका जा सके.