(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Defamation Case: मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट ने किया था सजा पर रोक से इनकार
Modi Surname Case: गुजरात हाई कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मिली सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
Rahul Gandhi Defamation Case: कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने 'मोदी सरनेम' मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने शनिवार (15 जुलाई) को गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat HC) के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल की. हाई कोर्ट ने बीती 7 जुलाई को इस मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की उनकी पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया था.
हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से मना कर दिया था. इसके चलते राहुल गांधी फिलहाल सांसद बने रहने या चुनाव लड़ने के अयोग्य हैं. कांग्रेस नेता की याचिका अभी सिर्फ दाखिल हुई है. हो सकता है सोमवार को उनके वकील चीफ जस्टिस से जल्द सुनवाई का अनुरोध करें.
सूरत की कोर्ट ने सुनाई थी सजा
मोदी उपनाम वाले मानहानि मामले में सूरत की कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी. फिलहाल वह जमानत पर हैं, लेकिन दोषी होने के चलते सांसद होने के अयोग्य हैं. ये मानहानि का मामला 2019 के लोकसभा चुनाव के अभियान के दौरान राहुल गांधी की ओर से की गई एक टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया था.
क्या है मोदी सरनेम मामला?
ललित मोदी और नीरव मोदी का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने पूछा था कि सभी चोरों का सरनेम एक जैसा क्यों होता है. उनकी इस टिप्पणी के बाद बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था. जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि इस टिप्पणी ने पूरे मोदी समुदाय को बदनाम किया है.
लोकसभी की सदस्यता से हुए अयोग्य घोषित
इस मामले में गुजरात के सूरत की एक अदालत ने 23 मार्च, 2023 को राहुल गांधी को दोषी ठहराया और 2 साल कैद की सजा सुनाई थी. जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था. हालांंकि उसी दिन उन्हें जमानत भी दे दी गई ताकि वह 30 दिनों के भीतर अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील कर सकें.
इसके राहुल गांधी ने अपनी दोषसिद्धि पर आपत्ति जताते हुए सूरत सेशन कोर्ट का रुख किया और अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की. जिसे 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया. इसके बाद गुजरात हाई कोर्ट ने भी उनकी पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया था.
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