Defence Budget 2024: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को 6,21,940.85 करोड़ रुपये (लगभग 75 बिलियन यूएस डॉलर) आवंटित किए हैं. मौजूदा वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में 2023-24 के रक्षा बजट की तुलना में 4.79 प्रतिशत की वृद्धि की है.


एक तरफ जहां केंद्र सरकार रक्षा बजट को सशस्त्र बलों की क्षमताओं को और मजबूत करने वाला बता रही है. वहीं विपक्षी दल इसे लेकर केंद्र पर हमलावर हैं. हालांकि, आर्थिक जगत के कई दिग्गजों ने इस रक्षा बजट पर अपने-अपने विचार रखे हैं और रक्षा बजट की सफलता-असफलता पर विस्तार से बात की है. 


हिंदुस्तान टाइम्स में सीपीपीआर (CPPR) की रिसर्च एसोसिएट मालविका ए और नीलिमा ए ने रक्षा बजट के मजबूत और कमजोर पक्षों पर एक लेख लिखा है. इस लेख में दोनों ने जहां मौजूदा रक्षा बजट की तुलना पिछले बजट से की है. वहीं, ये भी बताया है कि सरकार ने किस क्षेत्र के लिए कितने बजट को रखा है.


रक्षा बजट में कितनी हुई वृद्धि?


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 3.0 का पहला पूर्ण बजट 23 जुलाई, 2024 को पेश किया. इस वित्त वर्ष के रक्षा बजट में पिछले रक्षा बजट की तुलना में 4.79 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रक्षा बजट में हुई वृद्धि भू-राजनीतिक बदलाव और आर्थिक चुनौतियों में भारत सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.


बीते सालों में कितना रहा था रक्षा बजट?


रक्षा बजट के आंकड़े ये दिखाने के लिए काफी हैं कि मौजूदा वैश्विक चुनौतियों पर भारत का फोकस है. 2020 में 4.71 लाख करोड़ रुपये से शुरू होकर यह 2021 में 4.78 लाख करोड़ रुपये हुआ, 2022 में 5.25 लाख करोड़ रुपये और 2023 में 5.94 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा और 2024 में ये लगभग 6.22 लाख तक पहुंच गया है. 


क्या होना चाहिए भारत का लक्ष्य?


सीपीपीआर (CPPR) की रिसर्च एसोसिएट मालविका के मुताबिक, भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ ध्यान आकर्षिक करने की जरुरत है. उन्होंने कहा, 'रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के साथ ही भारत को तकनीकी आधुनिकीकरण के मामले में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनने के लक्ष्य की प्राप्ति करनी चाहिए.' वो बोलीं कि भारत को संभावित चुनौतियों का भी सावधानीपूर्वक सामना करने की जरुरत है. 


क्या बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह?


रक्षा बजट पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार जताया. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर राजनाथ सिंह ने एक पोस्ट किया जिसमें ये जानकारी दी कि किस सेक्टर को कितना बजट आवंटित हुआ. X पर उन्होंने लिखा, 'जहां तक ​​रक्षा मंत्रालय को बजट आवंटन का सवाल है, मैं वित्त मंत्री को 6,21,940.85 करोड़ रुपये का सबसे अधिक आवंटन देने के लिए धन्यवाद देता हूं, जो वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत सरकार के कुल बजट का 12.9% है.'


किसके लिए कितना बजट दिया?


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिखा, '1,72,000 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च सशस्त्र बलों की क्षमताओं को और भी अधिक मजबूत करने का काम करेगा. घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए 1,05,518.43 करोड़ रुपये का प्रावधान आत्मनिर्भरता को और भी अधिक बढ़ावा देने वाला साबित होगा. खुशी है कि सीमा सड़कों को पूंजीगत मदद के तहत पिछले बजट की तुलना में आवंटन में 30% की वृद्धि हुई.'


उन्होंने लिखा, 'बीआरओ  को 6,500 करोड़ रुपये का बजट आवंटन हमारे सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को गति देने वाला साबित होगा. रक्षा उद्योगों में स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए, स्टार्टअप्स, एमएसएमई और इनोवेटर्स के सुझाए गए तकनीकी समाधानों को वित्तपोषित करने के लिए iDEX योजना को 518 करोड़ रुपये दिए गए हैं.'


बैकफुट पर आएगा चीन !


भारत का रक्षा बजट उसके पड़ोसियों के लिए भी एक चेतावनी है. चीन के लगातार बढ़ते आक्रामक विस्तावरवाद के लिए भी रक्षा बजट एक संकेत है कि वो भारत को कम आंकने की गलती न करे. रूस-यूक्रेन युद्ध, और पश्चिमी एशिया में जारी भू-राजनीतिक तनावों को देखते हुए भारत का अपनी सीमा को सुरक्षित करना और अन्य देशों को अपनी मजबूती दिखाना अनिावर्य हो जाता है. 


इस कड़ी में रक्षा बजट के बाद लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड और अरुणाचल प्रदेश में नेचिपु सुरंग जैसी परियोजनाओं के कार्यान्वयन से सीमावर्ती क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास देखने को मिलेगा. न्योमा एयरफील्ड और नेचिपु सुरंग जैसी परियोजनाओं से इन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी भी बढ़ सकेगी. जाहिर तौर पर ये भारत के लिए एक फायदे का सौदा साबित होगा. 


समुद्र में कायम होगी बादशाहत


प्रायद्वीपीय देश भारत की अधिकांश सीमा महासागर से लगती है. समुद्री खतरे के मद्देनजर तटरक्षक बल (ICG) के लिए 6.31% आवंटन बढ़ाकर 7,651.80 करोड़ रुपये किए जाने का फैसला स्वागतयोग्य है. रक्षा बजट में किए गए इस आवंटन से गश्ती वाहन/इंटरसेप्टर, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली और हथियारों को खरीदा जा सकेगा. 


क्या कमियां पाई गईं?


सीपीपीआर (CPPR) की रिसर्च एसोसिएट मालविका ए और नीलिमा ए ने जहां बजट की सफलता पर बात की वहीं इसकी खामियों को भी उजागर किया. उन्होंने कहा, 'बजट में तीनों सेवाओं की एकीकृत क्षमता को बढ़ावा देने के लिए पूंजी आवंटन के मामले में अस्पष्टता पैदा हुई है.'


पारदर्शिता का उठाया मुद्दा


उन्होंने कहा, 'अलग-अलग बजटीय आवंटन से तीनों सेवाओं की व्यक्तिगत क्षमता के बारे में विश्लेषकों को बेहतरी जानकारी मिलेगी और सरकार के खर्च पर भी बेहतर पारदर्शिता आ सकेगी. भले ही रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के लिए बजटीय आवंटन वित्त वर्ष 2023-24 में 23,263.89 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 23,855 करोड़ रुपये हो गया है लेकिन आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण के लिए सरकार के प्रयासों के विपरीत उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखने को मिली.'


'DRDO को धन का आवंटन बढ़ाने की जरुरत'


उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के लिए धन का आवंटन बढ़ाने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार को रक्षा निर्यात को 50,000 करोड़ के आंकड़े तक बढ़ाने के लिए DRDO को धन का आवंटन बढ़ाने की आवश्यकता है.' वहीं केंद्र ने रक्षा पेंशन के आवंटन को भी बढ़ा दिया है और इसमें 2023-24 की तुलना में 2.17 प्रतिशत की बढ़त की है. 


सिर्फ 4.8 प्रतिशत की हुई वृद्धि?


ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन के कार्तिक बोम्माकांति ने भी बजट पर बात की. उन्होंने कहा, 'वित्त वर्ष 2024-25 के अंतर्गत कुल खर्च, पिछले वित्त वर्ष (2023-24) की तुलना में केवल 4.8 प्रतिशत बढ़ा है.' अपने इस दावे के पीछे तर्क देते हुए वो बोले, 'अगर रक्षा बजट पर गौर करें तो पता चलता है कि ये 2024-25 के कुल बजट का 12.9 प्रतिशत है. देश के सामने मौजूद चुनौतियों का सामना करने या सैन्य बलों की जरूरतें पूरी करने के लिहाज से रक्षा बजट अपर्याप्त है. सच तो ये है कि इस बार का रक्षा बजट 2023-24 की तुलना में कम है. क्योंकि पिछला रक्षा बजट, पूरे आम बजट का 13.18 प्रतिशत था.'


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