Defence MOU With Russia Signed: लोकसभा चुनाव की घोषणा‌ से पहले भारत सरकार ने सशस्त्र बलों की लड़ाकू क्षमताओं को और ज्यादा बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार (1 मार्च) को 39,125 करोड़ रुपए के 5 प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जिनके तहत मिसाइलें, एंटी एयरक्राफ्ट गन, एयरो-इंजन, रडार और ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइलों की खरीद शामिल है. अंग्रेजी अखबार टीओआई रिपोर्ट के मुताबिक, इन समझौतों के तहत 220 से अधिक ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइलों की खरीद होगी जिनके लिए 19,519 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं.


भारतीय नौसेना के फ्रंटलाइन युद्धपोतों के लिए 450 किलोमीटर की विस्तारित सीमा वाली ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइलें खरीदी जाएंगी. यह समझौता भारत-रूसी संयुक्त उद्यम ब्रह्मोस एयरोस्पेस के साथ हुआ है. अंग्रेजी अखबार ने रक्षा सूत्रों के हवाले से आगे बताया कि 988 करोड़ रुपए का एक और समझौता संबंधित शिपबॉर्न ब्रह्मोस वर्टिकल लॉन्च सिस्टम के साथ हुआ है.


एयरफोर्स के लिए भी समझौता


निजी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एलएंडटी के साथ भारतीय वायुसेना के दो समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं जिनमें एक देश में चुनिंदा स्थानों की टर्मिनल एयर डिफेंस के लिए एल-70 एयर डिफेंस बंदूकों के डेरिवेटिव, क्लोज-इन हथियार प्रणालियों  के लिए 7,669 करोड़ रुपए का सौदा भी है. दूसरा सौदा 5,700 करोड़ रुपए का है जो चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर मौजूदा लंबी दूरी के भारतीय वायु सेवा के रडारों को बदलने और बढ़ाने के लिए 12 हाई पावर रडार (HPRs) के लिए है. इससे सैन्य बलों की ताकत में इजाफा होगा.


मिग विमानों के इंजन पर भी हुआ करार


यही नहीं, एक और समझौता मिग-29 लड़ाकू विमानों के लिए आरडी-33 एयरो-इंजन के लिए है. इस इंजन का उत्पादन कोरापुट में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स की ओर से रूसी सहयोग से 5,250 करोड़ रुपए में किया जाएगा. 80 नए इंजन भारतीय वायुसेना के बेड़े में लगभग 60 डबल इंजन वाले मिग-29 की परिचालन क्षमता को बनाए रखने में मदद करेंगे. इन विमानों को पहले मार्च 2008 में रूस के साथ 3,842 करोड़ रुपये के समझौते के तहत नए एवियोनिक्स और हथियारों के साथ उन्नत किया गया था.


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