Rajnath Singh In Ladakh: लद्दाख के 1962 में हुई लड़ाई वाली जगह से राजनाथ की चेतावनी, भारत अब कमजोर नहीं, दुश्मनों को दिया जाएगा मुंहतोड़ जवाब
Defence Minister In Ladakh: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- रेजांग ला के युद्ध को दुनिया के 10 महानतम और सबसे चुनौतीपूर्ण सैन्य संघर्षों में से एक माना जाता है.
Defence Minister In Ladakh: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर जोर देते हुए कि भारत अब कमजोर राष्ट्र नहीं है, गुरुवार को कहा कि भारत उसकी सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा बनने वाले किसी को भी मुंहतोड़ जवाब देगा. सिंह ने 1962 में पूर्वी लद्दाख के रेजांग ला में भारत-चीन के बीच हुए ऐतिहासिक युद्ध के 59 साल पूरे होने पर परोक्ष रूप से चीन को चेतावनी देते हुए उक्त बात कही. रक्षा मंत्री ने कहा कि कोई भी ‘‘भारत को आंख दिखा कर’’ बचकर नहीं निकल सकता है क्योंकि देश अपनी धरती के हर इंच की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने 18 नवंबर 1962 को हुई रेजांग ला की लड़ाई में चीनी सेना के दांत खट्टे करने वाले और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी.
रक्षा मंत्री ने सौन्दर्यीकरण के बाद रेजांग ला युद्ध स्मारक को जनता को समर्पित किया और कहा कि यह ‘बहादुरों’ के लिए श्रद्धांजलि है और अपनी सम्प्रभुता की रक्षा करने की भारत की तैयारियों का प्रतीक है. राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘स्मारक का सौन्दर्यीकरण ना सिर्फ हमारी बहादुर सेना के लिए श्रद्धांजलि है बल्कि इस तथ्य का प्रतीक भी है कि हम देश की अखंडता की रक्षा करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.’’
Paid tributes to India’s bravehearts at Rezang La today. The nation will never forget their courage, valour and supreme sacrifice. pic.twitter.com/0k0M2glQhJ
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) November 18, 2021
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और सेना के अन्य शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति में संक्षिप्त संबोधन में रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘यह स्मारक हमारी सम्प्रभुता और अखंडता के लिए खतरा बनने वाले किसी को भी उचित जवाब देने के सरकार के रुख को दर्शाता है. भारत अब कोई कमजोर देश नहीं है। वह ताकतवर देश बन चुका है.’’ उनका यह बयान ऐसे दिन पर आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दों को लेकर, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर करीब 18 महीने से जारी गतिरोध को समाप्त करने के मद्देनजर एक दौर की कूटनीतिक वार्ता हुई है. राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि वह रक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए हमेशा रेजांग ला के शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे.
रेजांग ला की लड़ाई को 59 साल पहले लद्दाख में भारत-चीन के बीच हुए युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों में से माना जाता है. शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए सिंह ने इस युद्ध स्मारक को भारतीय सेना द्वारा प्रदर्शित दृढ़ संकल्प और अदम्य साहस का उदाहरण बताया और कहा कि ‘‘यह ना सिर्फ इतिहास के पन्नों में अमर है, बल्कि हमारे दिलों में भी जिंदा है.’’ रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘रेजांग ला के युद्ध को दुनिया के 10 महानतम और सबसे चुनौतीपूर्ण सैन्य संघर्षों में से एक माना जाता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘18,000 फुट की ऊंचाई पर लड़ी गयी रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई की कल्पना आज भी करना मुश्किल है. मेजर शैतान सिंह और उनके सैनिकों ने ‘अंतिम गोली, अंतिम सांस’ तक लड़ाई लड़ी और साहस तथा बहादुरी का नया अध्याय लिखा.’’
सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘लद्दाचा की दुर्गम पहाड़ियों में स्थित रेजांग ला में 1962 के युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले 114 भारतीय सैनिकों को मैं सलाम करता हूं.’’ रेजांग ला की लड़ाई 18 नवंबर, 1962 को सुबह चार बजे शुरु हुई और रात करीब 10 बजे तक चली. इसमें मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में कुमाउं रेजीमेंट की 13वीं बटालियन की सी कंपनी ने बेहद कम संख्या में होते हुए भी ना सिर्फ अपना मोर्चा संभाले रखा बल्कि चीनी सेना को भारी नुकसान भी पहुंचाया.
इसके लिए मेजर शैतान सिंह को मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र दिया गया था. रक्षा मंत्री ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आर. बी. जाठर से भी भेंट की जो रेजांग ला युद्ध में शामिल हुए थे. सिंह ने कहा, ‘‘मेरे मन में उनके लिए असीम आदर भाव है और मैं उनके साहस को सलाम करता हूं। ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे, दीर्घायु बनाए.’’ सौन्दर्यीकरण के बाद स्मारक को ऐसे समय पर जनता के लिए खोला गया है जब भारत और चीन के बीच पिछले डेढ़ साल से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध की स्थिति बनी हुई है. चीन के आक्रामक रवैये और भारतीय सैनिकों को डराने के असफल प्रयास के बाद भारतीय सेना ने पिछले साल अगस्त में रेजांग लां क्षेत्र की कई पर्वत चोटियों पर नियंत्रण कर लिया. दोनों देशों के बीच गतिरोध पिछले साल पांच मई को शुरू हुआ था.