नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज 'राष्ट्रीय युद्ध स्मारक' से BRO द्वारा आयोजित मोटरसाइकिल रैली अभियान को झंडी दिखाकर रवाना किया. अरुणाचल प्रदेश में बन रही सेला सुरंग के आखिरी चरण का दिल्ली से उद्घाटन करने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, BRO की उपलब्धियां दुनिया में अध्ययन करने का विषय है. चाहे दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बना अटल टनल हो, या दुनिया का सबसे ऊंचा मोटरेबल पास हो, या अंतिम पड़ाव पर पहुंचा सेला सुरंग हो.


राजनाथ दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से बटन दबाया और सुरंग में विस्फोट के साथ ही परियोजना के आखिरी चरण का काम शुरू हो गया. सेला सुरंग का निर्माण कार्य जून 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है. यह सुरंग सेला दर्रे से होकर गुजरती है और उम्मीद है कि इस परियोजना के पूरा होने पर तवांग के जरिए चीन सीमा तक की दूरी 10 किलोमीटर कम हो जाएगी. सुरंग से असम के तेजपुर और अरुणाचल प्रदेश के तवांग में स्थित सेना के 4 कोर मुख्यालयों के बीच यात्रा के समय में कम से कम एक घंटे की कमी आएगी.


जानिए सेला-टनल के बारे में सब कुछ
तेजपुर में सेना का 4 कॉर्प्स का मुख्यालय है जो अरुणाचल प्रदेश पर दृष्टि रखता है. भारत-चीन सीमा पर स्थित तवांग का द्वार भी तेजपुर ही है. असम के नगांव जिले में स्थित एक बड़े सैन्य बेस मीसा से उत्तरी तट पर स्थित तेजपुर तक वाहनों का आवागमन सिर्फ ब्रह्मपुत्र पर बने कलियाभोमोरा पुल पर निर्भर है. यदि किसी संघर्ष की स्थिति में उसपर हमला होता है या वह क्षतिग्रस्त होता है तो उस सड़क से पश्चिमी अरुणाचल प्रदेश तक पहुंच पाना बहुत कठिन होता है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए भूमिगत सुरंग बनाई जाएगी.


12-15 किलोमीटर लंबी इस सुरंग की अनुमानित लागत 5,000 करोड़ रुपये की है और यह देश में किसी नदी के नीचे बनी सुरंग के माध्यम से पहला सड़क मार्ग होगा. 1962 के युद्ध में चीनी सेना तवांग को पार करके तेज़पुर से 20 किलोमीटर की दूरी तक पहुँच गई थी जो युद्ध समाप्ति के बाद पीछे हटी थी. भारतीय रेलवे भी भलुकपोंग (असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर स्थित, तेज़पुर से लगभग 58 किलोमीटर दूर) से तवांग के बीच एक ब्रॉड गेज लाइन बना रही है. भलुकपोंग से तवांग के बीच बनने वाले 378 किलोमीटर रेल मार्ग का लगभग 80 प्रतिशत भाग सुंरगों से गुज़रेगा ताकि पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुंचे.


रेल मार्ग सेला दर्रे से भी गुज़रेगा जो समुद्र तल से 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. भलुकपोंग छोर से रेल मार्ग के लिए सर्वेक्षण भी पूरा हो चुका है और तवांग एवं मार्ग में पड़ने वाले अन्य स्थानों के लिए रेलवे स्टेशन स्थल तय किए जा रहे हैं. इस प्रस्तावित रेल मार्ग पर काम शुरू भी हो जाता लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण देरी हो गई. भारतीय रेलवे एक और परियोजना तय करने के अंतिम चरण पर है जो नगाँव व तेज़पुर को जोड़ेगी और इस मार्ग की रेल पटरियाँ ब्रह्मपुत्र के नीचे बनने वाली प्रस्तावित सुरंग से गुज़र सकती हैं.


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