INS Dunagiri: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नौसेना को सौंपा स्वदेशी वॉरशिप 'दूनागिरी', समंदर में मजबूत हुई भारत की ताकत
INS Dunagiri News: ये नौसेना के ही पुराने दूनागिरी ASW फ्रीगेट का अवतार है. पुराना फ्रीगेट 33 साल की सेवाएं पूरा करने के बाद वर्ष 2010 में रिटायर हो गया था. उसी के नाम पर नए फ्रीगेट का नाम रखा गया है.
INS Dunagiri Launched: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकता के दौरे पर आज यहां पहुंचे हैं. जहां उन्होंने भारतीय नौसेना (Indian Navy) के शिवालिक-क्लास फ्रीगेट (युद्धपोत) आईएनएस दूनागिरी (INS Dunagiri) को हुगली नदी में लॉन्च किया. उत्तराखंड (Uttarakhand) की एक चोटी के नाम पर रखे गए इस युद्धपोत का निर्माण कोलकता स्थित गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स यानि जीआरएसई शिपयार्ड ने किया है.
आईएनएस दूनागिरी प्रोजेक्ट-17ए का चौथा युद्धपोत है जिसे आज लॉन्च किया गया. इस प्रोजेक्ट के तहत नौसेना के लिए कुल सात शिवालिक क्लास फ्रीगेट (युद्धपोत) बनाए जाने हैं. इनमें से चार मुंबई (Mumbai) स्थित मझगांव डॉकयार्ड में तैयार किए जा रहे हैं और बाकी तीन जीआरएसई में. मझगांव डॉकयार्ड (Mazagon Dockyard) पहले ही इस क्लास के दो युद्धपोत समंदर में लॉन्च कर चुका है. पिछले महीने ही इस क्लास का तीसरा युद्धपोत, उदयगिरी लॉन्च किया गया था. जीआरएसई का ये दूसरा युद्धपोत है. ये सभी सातों युद्धपोत देश की अलग-अलग पर्वत-श्रृंखला के नाम पर रखे गए हैं.
बाकी शिवालिक क्लास युद्धपोत की तरह ही दूनागिरी भी रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की एक अहम पहचान है. इस युद्धपोत में 75 प्रतिशत हथियार, उपकरण और सिस्टम स्वदेशी हैं. इन सभी युद्धपोतों का डिजाइन नौसेना के डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन ने तैयार किया है.
INS दूनागिरी की ये है खासियत
दूनागिरी सहित प्रोजेक्ट 17ए के सभी फ्रीगेट शिवालिक क्लास (प्रोजेक्ट-17) के युद्धपोतों का फॉलो-ऑन हैं और सभी में पहले वालों से बेहतर स्टेल्थ फीचर्स, एडवांस वैपन, सेंसर्स और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज जिस दूनागिरी युद्धपोत लॉन्च किया है, ये नौसेना के ही पुराने दूनागिरी एएसडब्लू फ्रीगेट का अवतार है. पुराना फ्रीगेट 33 साल की सेवाएं पूरा करने के बाद वर्ष 2010 में रिटायर हो गया था. उसी के नाम पर नए फ्रीगेट का नाम रखा गया है. दरअसल, भारतीय नौसेना की ये परंपरा है कि रिटायर (डि-कमीशन) युद्धपोत के नाम पर ही नए जंगी जहाज का नाम रखा जाता है.
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