नई दिल्ली: बैटेल कैज्युल्टी यानि युद्ध में हताहत हुए सैनिकों को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय द्वारा किए ट्वीट के बाद बुधवार को रक्षा मंत्रालय ने सफाई देकर स्थिति साफ की है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, बैटेल कैज्युल्टी दो प्रकार की होती हैं इसलिए इसको लेकर कफ्यूजन हुआ था.


दरअसल, मंगलवार को रक्षा मंत्री कार्यालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने बैटल-कैज्युल्टी को लेकर एक के बाद एक तीन ट्वीट किए और एलान किया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैटेल-कैज्युल्टी को लेकर एक प्रपोजल को हरी झंडी दे दी है जिसमें युद्ध में मारे गए सैनिकों के परिवार वाले अब सरकारी घर में तीन महीने की बजाए एक साल तक रह सकेंगे. इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने भी आधिकारिक तौर से प्रेस रिलीज भी जारी की.


रक्षा मंत्री कार्यालय के इस ट्वीट पर सेना की पश्चिमी कमान के पूर्व कमांडर (कमांडिंग इन चीफ), लेफ्टिनेंट जनरल सुरेंद्र सिंह ने जवाब (रिप्लाई) दिया कि युद्ध में शहीद हुए जवानों के परिवारवाले पहले से ही तीन साल तक सरकारी आवास में रह सकते हैं, ऐसे में रक्षा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी गलत है‌.



इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने सफाई दी है कि रक्षा मंत्रालय कार्यालय ने जिन बैटल कैज्युल्टी के बारे में लिखा था, वो उन सैनिकों के लिए था जो युद्ध में या फिर आतंकियों से लड़ते हुए या फिर किसी एयर-स्ट्राइक में दिव्यांग (अपंग) हो गए हों और अब सेना में अपनी सेवाएं नहीं दे सकते हैं. उनके परिवार अब तीन महीने की बजाए एक साल तक सरकारी आवास (मैरिड एकोमोडेशन प्रोजेक्ट) में रह सकेंगे. ऐसा करने से सैनिकों का हौसला और बढ़ेगा.


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, युद्ध में मारे गए सैनिकों के परिवार पहले से ही दो साल तक सरकारी आवास में रहते हैं. कुछ खास परिस्थितियों में उनका ये आवास अगले छह महीने या फिर एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.


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