नई दिल्लीः नौसेना की तैयारियों का जायजा लेने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को तीन दिवसीय दौरे पर लेह-लद्दाख जा रहे हैं. इस दौरान वह चीन से सटी एलएसी पर सेना की तैयारियों का जायजा लेंगे. बीआरओ की सड़क और ब्रिज का उदघाटन करेंगे. वायुसेना की ऑपरेशनल तैयारियों की भी समीक्षा करेंगे. 


24-25 जून को कारवार और कोच्चि में नौसेना के प्लान और प्रोजेक्टस की समीक्षा करने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को तीन दिवसीय दौर पर लेह-लद्दाख जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, इस दौरान रक्षा मंत्री बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानि बीआरओ द्वारा चीन से सटे एलएसी के इलाकों में नव-निर्मित निर्माण सड़क और पुल का उदघाटन करेंगे. इससे ना केवल सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले निवासियों को आवाजाही में सुविधा मिलेगी बल्कि सेना की मूवमेंट भी आसान हो जाएगी.


फॉरवर्ड लोकेशन का दौरा कर सैनिकों कर सकते हैं मुलाकात 
आपको बता दें कि पिछले हफ्ते भी रक्षा मंत्री ने असम-अरूणाचल प्रदेश के दौरे के दौरान एलएसी को जोड़ने वाले करीब एक दर्जन सड़क और पुलों का उदघाटन किया था. ये सभी सड़कें भी बीआरओ ने तैयार की थीं. 


जानकारी के मुताबिक, रक्षा मंत्री लेह-लद्दाख के दौरे पर सेना की 14वीं कोर (फायर एंड फ्यूरी) के मुखयालय का दौरा कर स्थानीय कमांडर्स से एलएसी के ताजा सूरते-हाल की जानकारी लेंगे. माना जा रहा है राजनाथ सिंह फॉरवर्ड लोकेशन का दौरा कर सैनिकों से भी मुलाकात कर सकते हैं. क्योंकि पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से तनातनी जारी है. ऐसे में वायुसेना भी लद्दाख में पूरी तरह से अलर्ट पर हैं. रक्षा मंत्री वायुसेना की तैयारियों का भी जायजा लेंगे.


पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी  पर चीन से तनातनी जारी
राजनाथ सिंह का लेह-लद्दाख का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानि एलएसी (वास्तिवक नियंत्रण रेखा) पर चीन से तनातनी जारी है. पैंगोंग-त्सो लेक के उत्तर और दक्षिण के इलाकों में तो भारत और चीन की सेनाओं के बीच पहले चरण का डिसइंगेजमेंट हो गया था. लेकिन एलएसी के बाकी विवादित इलाकों हॉट स्प्रिंग, गोगरा, डेमचोक, डेप्सांग प्लेन इत्यादि--से चीन की पीएलए सेना ने पीछे हटने से साफ इंकार कर दिया है. 


पिछले साल भी लेह-लद्दाख का किया था दौरा  
पिछले साल भी रक्षा मंत्री ने लेह-लद्दाख का दौरा किया था. उस दौरान रक्षा मंत्री की मौजूदगी में थलसेना और वायुसेना ने साझा युद्धभ्यास भी किया था.शुक्रवार को ही कोच्चि में नौसैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने इस बात का खुलासा किया था कि पिछले साल गलवान घाटी की हिंसा के दौरान भारतीय नौसेना ने प्रोएक्टिव डेप्लोयमेंट किया था. क्योंकि भारत एलएसी पर चीन के साथ शांति तो चाहता है लेकिन किसी भी विषम परिस्थिति से निपटने के लिए भी तैयार है.


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