`
रक्षामंत्री ने कोविड काल में जवानों की सेवा के लिए भी उनकी जमकर तारीफ की. रक्षामंत्री ने कहा कि हमारी सुरक्षा करने वाले सैनिकों का उत्तरदायित्व हम पर ही है और यह स्वीकार कर हमें उनके सहयोग के लिए आगे आना ही चाहिए.
नई दिल्ली: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज एक तीर से दो शिकार किए. गलवान की घटना का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री पाकिस्तान को उसकी असलियत भी याद दिला दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा में लगे जवानों का उत्तरदायित्व हम पर ही है. हमें उनके सहयोग के लिए आगे आना चाहिए. रक्षामंत्री ने यह बात 'केंद्रीय सैनिक बोर्ड' द्वारा आयोजित, सीएसआर कॉन्क्लेव में कही.
रक्षामंत्री ने कहा, ''मैं गलवान की घटना की आपको याद दिलाना चाहता हूं. हमें यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि हम हों या हमारे उद्योग व्यापार उनके लिए सुरक्षा पहली जरूरतों में से एक है. यह बात सुरक्षा के लिए जिम्मेदार उन्हीं सैनिकों को समर्पित है.''
उन्होंने आगे कहा, ''जो देश अपनी संप्रभुता की रक्षा कर पाने में समर्थ नहीं होते हैं उनकी हालत हमारे पड़ोसी देश जैसी हो जाती है. मेरे इशारे को आपने समझ लिया होगा. जो ना खुद से अपनी सड़क बना सकते हैं ना उस पर चल सकते हैं, ना ही व्यापार कर सकते हैं और ना ही किसी दूसरे को व्यापार करने से रोक सकते हैं. इसके लिए हमारी सुरक्षा करने वाले सैनिकों का उत्तरदायित्व हम पर ही है और यह स्वीकार कर हमें उनके सहयोग के लिए आगे आना ही चाहिए.''
और क्या बोले रक्षामंत्री? रक्षामंत्री ने कोविड काल में जवानों की सेवा के लिए भी उनकी जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा, ''कोविड काल में तो हमारे इन पूर्व सैनिकों की समस्याएं और भी प्रकार से बढ़ी हैं. इसके बावजूद, आपको यह जानकर आश्चर्य, और सुखद अनुभूति होगी, कि इस महामारी में भी हमारे पूर्व-सैनिक पीछे नहीं रहे."
उन्होंने आगे कहा, ''जिस समय कोविड अपने पांव पसार रहा था, और हम असहाय होकर अपने घरों में बैठ गए थे, उस समय भी हमारे वीर जवान निडर होकर पूरे जोश और बहादुरी से सीमाओं की सुरक्षा में लगे हुए थे. उन्होंने न केवल मुस्तैदी से सीमा की सुरक्षा की, बल्कि जरूरत पड़ने पर अपना सर्वोच्च बलिदान भी दिया.''
रक्षामंत्री ने कहा, ''आज का यह कार्यक्रम हमारे उन वीरों को समर्पित है, जिनके त्याग और बलिदान की वजह से हम, और हमारा देश खुद को हर तरफ से महफूज समझता है. चाहे भारत की अखंडता, और संप्रभुता की रक्षा के लिए लड़े गए बहुआयामी युद्धों में जीत हासिल करना हो, या फिर सीमा पार से हो रही आतंकी गतिविधियों का मुकाबला करना हो, हमारी सशस्त्र सेनाओं ने बड़ी मुस्तैदी से चुनौतियों का मुंहतोड़ जवाब दिया है.''