नई दिल्लीः रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ होने की दिशा में भारत ने 101 तरह के हथियार, तोप, एयरक्राफ्ट, हेलीकॉप्टर, राइफल और समुद्री-जहाज के आयात पर रोक लगा दी है. अब इन हथियारों और दूसरे सैन्य साजो सामानों को स्वदेशी कंपनियों से ही सेनाएं खरीद पाएंगी. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज इस बात का एलान किया. ये घोषणा ऐसे समय में की गई है जब भारत का एलएसी पर चीन के साथ पिछले तीन महीने से टकराव चल रहा है.


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार सुबह 10 बजे ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर’ आह्वान पर रक्षा मंत्रालय अब 101 तरह के सैन्य साजो सामान के आयात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने जा रही है ताकि रक्षा-उत्पादन में स्वावलंबी बना जा सके.


राजनाथ सिंह के मुताबिक, इस निर्णय से सेनाओं की जरूरत के हिसाब से देश के रक्षा-उद्योग को डीआरडीओ द्वारा ईजाद की गई तकनीक को खुद डिजाइन और विकसित करने का मौका मिलेगा. रक्षा मंत्री के मुताबिक, इस निर्णय से स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री को करीब 4 लाख करोड़ के कांट्रेक्ट मिलने का अनुमान है--1.30 लाख करोड़ थलसेना, 1.30 लाख करोड़ वायुसेना और 1.40 लाख करोड़ नौसेना के.


इन हथियारों के आयात पर रोक


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस 101 आइटम वाली लिस्ट में तोप, असॉल्ट राइफल, कोर्विट वॉरशिप (युद्धपोत), सोनार-सिस्टम, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट (लाइट), लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, पनडुब्बी, रडार, आर्मर्ड फाइटिंग व्हीकल शामिल हैं.


इसके अलावा लिस्ट में स्नाईपर राइफल, लाइन मशीनगन, बुलेटप्रुफ जैकेट, बैलस्टिक हेलमेट, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, जंगी युद्धपोत की क्रूज मिसाइल, कम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, सिम्युलेटर, फास्ट अटैक बोट्स, एंटी सबमरीन रॉकेट, इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम, सैटेलाइट टर्मिनल, सीबीआरएन (कैमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलोजिकल एंड न्युक्लिर) डेटेक्शन एंड मॉनेटरिंग सिस्टम, मिनी यूएवी, एंटी टैंक माइन्स, ग्रेनेड लॉन्चर, रॉकेट लॉन्चर, वियुंड विज्युल रेंज एयर टू एयर मिसाइल (अस्त्र-एमके1), लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल इत्यादि शामिल हैं.


हालिया घटनाक्रम के बाद फैसला


दरअसल, हाल ही में जब भारत का चीन से लाइन ऑफ एक्चुल कंट्रोल पर बड़ा टकराव शुरू हुआ तो आनन-फानन में रक्षा मंत्रालय ने विदेश से इमरजेंसी-पर्चेजेस यानि फाइटर जेट, गोला-बारूद इत्यादि की खरीद शुरू कर दी थी.


ऐसी ही खरीददारी भारत को पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक (2016) के दौरान करनी पड़ी थी. यही वजह है कि अब भारत खुद को रक्षा क्षेत्र में स्वावलंबी बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि युद्ध की परिस्थिति में हथियार, गोला-बारूद और दूसरे जरूरी सैन्य साजो सामान के लिए दूसरे देशों का मुंह ना ताकना पड़े.


रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस ‘नेगेटिव इम्पोर्ट लिस्ट’ को 2020 से 2024 तक लागू किया जाएगा. यानि लिस्ट में उस हथियार या आइटम के साथ एक तारीख दी हुई है जिसके बाद से उन आइटम्स पर पूरी तरह आयात के लिए बैन लग जाएगा.


भविष्य में अन्य हथियारों पर भी लगेगी रोक


रक्षा मंत्रालय ने इस लिस्ट को सेनाओं (थलसेना, वायुसेना, नौसेना), डिफेंस पीएसयू, प्राईवेट डिफेंस इंडस्ट्री के साथ मंत्रणा कर तैयार किया है और निकट भविष्य में और हथियार और सैन्य साजो सामान को इस लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. इसकी जिम्मेदारी सीडीएस के अंतर्गत आने वाली डीएमए यानि डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री एफेयर्स को सौंपी गई है.


रक्षा मंत्री राजनाथ ने बताया कि इस साल के डिफेंस बजट (2020-21) में इसीलिए कैपिटल-बजट को दो भाग में बांट दिया गया था. इस कैपिटल बजट में करीब 52 हजार करोड़ रूपये स्वदेशी हथियारों की खरीद के लिए आवंटित किए गए थे.


रक्षा मंत्री के इस ऐलान का प्राईवेट इंडस्ट्री ने स्वागत भी किया है. कल्याणी ग्रुप के सीएमडी बाबा कल्याणी ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के इस फैसले से “रक्षा क्षेत्र में भारत स्वावलंबी तो बनेगा ही साथ ही आयात पर खर्च भी कम होगा जिससे विदेशी मुद्रा को बचाया जा सकेगा. साथ ही इससे देश में रोजगार पैदा होगा और देश में रक्षा उत्पादन से 5 ट्रिलियन इकोनोमी का लक्ष्य भी पूरा होगा. हम भारत सरकार के इस लक्ष्य को पूरा करने में पूरी तरह साथ हैं.”


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