नई दिल्लीः देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबे समय से स्वदेशी पर और आत्मनिर्भर होने की मांग होती रही है और सरकारों ने भी इस दिशा में कई एलान किए, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार 9 अगस्त को सैन्य जरूरतों के 101 विदेशी साजो-सामान के आयात पर रोक लगाने का एलान किया. इसके बाद इन हथियारों और उपकरणों का देश में ही निर्माण किया जाएगा.
रक्षा मंत्री के एलान के बाद हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है कि इन 101 उत्पादों में किस तरह के हथियार शामिल हैं. रक्षा मंत्री ने अपने ट्वीट में राइफल्स, आर्टिलरी गन (तोप), बख्तरबंद गाड़ियों का जिक्र किया था.
2020 से ही शुरू हो जाएगी प्रतिबंध की शुरुआत
इनके अलावा भी इस लिस्ट में मिसाइल, राडार, स्नाइपर राइफल्स, मशीन गन्स समेत कई हथियार और अहम पार्ट्स हैं. इन सब पर प्रतिबंध का सिलसिला इसी साल के अंत से शुरू होगा, जिसे 2025 तक पूरा किया जाएगा. इसके बाद इन सभी उत्पादों में भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो जाएगा.
रक्षा मंत्रालय में सैन्य मामला विभाग (DMA) ने 101 उत्पादों की सूची तैयार की है. इनमें से 69 उत्पाद ऐसे हैं, जिनके आयात पर दिसंबर 2020 से ही प्रतिबंध लागू हो जाएगा. इनमें स्नाइपर राइफल (7.62x51), आर्टिलरी गन (155mm), समुद्री जहाज से मार करने वाली क्रूज मिसाइल, छोटी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, फायर ट्रेनिंग सिल्युलेटर जैसी अहम हथियार और उपकरण शामिल हैं.
BVR, ट्रेनर एयरक्राफ्ट, पनडुब्बियां भी लिस्ट में
वहीं दिसंबर 2021 के बाद जिन उत्पादों पर प्रतिबंध लगेगा उनमें ये खास हैं- बख्तरबंद लड़ाकू वाहन (AFV), लाइट मशीन गन, असॉल्ट राइफल (7.62x39mm), एंटी-टैंक माइन, पारंपरिक पनडुब्बियां, 30mm की एम्युनिशन, बहुउद्देश्यीय ग्रेनेड.
वहीं 2023 के बाद प्रतिबंधित उत्पादों में- बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल, ट्रेनर एयरक्राफ्ट, कम्युनिकेशन सैटेलाइट (GSAT-7C) बेहद अहम हैं.
इसी तरह 2024 तक छोटे जेट इंजन और हल्के और निचले टैरेन वाले राडार (LLLWR) प्रमुख हैं, जबकि दिसंबर 2025 के बाद लंबी दूरी की लैंड अटैक क्रूज मिसाइलों के आयात पर पाबंदी लगाने का लक्ष्य रखा गया है. इनके अलाव लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर भी इसमें शामिल है, जिसका भारत में भी निर्माण होता है और विदेशों से भी खरीदे जाते रहे हैं.
राजनाथ सिंह ने बताया कि इन उत्पादों के आयात पर रोक का नतीजा ये होगा कि 2020 के अगले 6-7 सालों में करीब 4 लाख करोड़ तक के सामानों की खरीद भारतीय बाजार में स्वदेशी कंपनियों से ही की जा सकेगी.
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