नौसेना होगी अब और भी मजबूत, रक्षा मंत्रालय ने किया इन बेहद खास जहाजों का करार
पूरे आर्डर को अनुबंध हस्ताक्षर होने की तिथि से 84 महीने के भीतर पूरा किया जाना है. पहला जलपोत अनुबंध पर हस्ताक्षर होने की तिथि के 42 माह में दिया जाना है. इसके बाद हर साल दो जलपोत की आपूर्ति की जानी है.
नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने नौसेना के लिए 16 एंटी-सबमरीन जहाज बनाने के लिए जीआरएसई, कोलकता और कोच्चि शिपयार्ड से करार किया हैं. दोनों डिफेंस-पीएसयू 8-8 जहाज बनाएंगी और 22 अक्टूबर से इनकी डिलवरी शुरू हो जायेगी. दोनों शिपयार्ड को हर साल दो-दो शिप देने हैं. ये एएसडब्लू शैलो-वॉटर क्राफ्ट्स कम पानी में यानि समदंर के किनारों के करीब दुश्मन की सबमरीन को ढूंढ निकलाना और हमला करने के लिए कारगर हैं.
Joint Secretary & Acquisition Manager, Ministry of Defence, Shri Ravi Kant and Director (Finance), GRSE, Shri S.S. Dogra signed contract to build the eight Anti-Submarine Warfare Shallow Water Crafts (ASWSWCs) for @indiannavy, in New Delhi pic.twitter.com/dHcIyCJcOU
— PIB India (@PIB_India) April 30, 2019
इन आठ युद्धक जलपोत का कुल मूल्य 6,311.32 करोड़ रुपये लगाया गया है. पहला जलपोत अनुबंध पर हस्ताक्षर होने की तिथि के 42 माह में दिया जाना है. इसके बाद हर साल दो जलपोत की आपूर्ति की जानी है. पूरे आर्डर को अनुबंध हस्ताक्षर होने की तिथि से 84 महीने के भीतर पूरा किया जाना है.
रक्षा मंत्रालय से एंटी-सबमैरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट्स यानी एएसडब्ल्यूएसडब्ल्यूसीएस के विनिर्माण के लिये अनुबंध प्राप्त करने वाली सीएसएल दूसरी कंपनी है. मंत्रालय इससे पहले सोमवार को कोलकाता की कंपनी गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) को और आठ ऐसे पोतों के निर्माण का ठेका दे चुका है.
सीएसएल ने कहा है कि उसकी उसकी आर्डर बुक अच्छी स्थिति में है और यह नया अनुबंध कंपनी के लिये भविष्य में और बेहतर होगा. सीएसएल वर्तमान में नौसेना के लिये देश का पहला घरेलू एयरक्राफ्ट करियर के निर्माण में लगा है. यह इस समय परीक्षण और काम शुरू करने के लिये काफी अग्रिम स्थिति में पहुंच चुका है.