Defence News: ब्रह्मोस-2 Missile से उड़ेगी दुश्मनों की नींद, हाइपरसोनिक वेरिएंट में इस्तेमाल होगी Zircon मिसाइल की टेक्नोलॉजी
BrahMos-2 Missile: ब्रह्मोस (BrahMos) दुनिया की ऐसी मिसाइल है, जिसे काफी खतरनाक माना जाता है. इस घातक मिसाइल (Missile) को जमीन, हवा, पानी और पनडुब्बी से भी लॉन्च किया जा सकता है.
BrahMos-2 Hypersonic Missile: भारत के दुश्मनों के लिए बुरी खबर है. भारत और रूस ब्रह्मोस-2 (BrahMos-2) के नए वेरिएंट यानी ब्रह्मोस-2 सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos 2 Hypersonic Missile) के निर्माण में तेजी से जुट गए हैं. ये मिसाइल काफी ताकतवर होगी और रूस के जिरकॉन मिसाइल (Zircon Missile) की तर्ज पर ये दुश्मनों की नींद उड़ा देगी. जानकारी के मुताबिक इस मिसाइल में रूस के सबसे घातक जिरकॉन मिसाइल की तकनीक (Zircon Missile Technology) का इस्तेमाल किया जाएगा.
ब्रह्मोस (BrahMos) दुनिया की ऐसी मिसाइल है, जिसे काफी खतरनाक माना जाता है. इस घातक मिसाइल को जमीन, हवा, पानी और पनडुब्बी से भी लॉन्च किया जा सकता है.
ब्रह्मोस-2 में इस्तेमाल होगी जिरकॉन की तकनीक!
भारतीय सीमा पर चीन और पाकिस्तान की ओर से अक्सर तनाव देखा जाता रहा है. ऐसे में भारत भी अपने चालबाज पड़ोसियों को सबक सिखाने के लिए अपनी सेना को मजबूत कर रहा है. भारत अपने हथियारों को आधुनिक करने के साथ स्वदेशी तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दे रहा है. इसी कड़ी में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल का एडवांस्ड वर्जन बनाने का काम तेजी से जारी है. ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक वर्जन में रूस के जिरकॉन हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा.
ब्रह्मोस-2 की ताकत क्या है?
हाइपरसोनिक मिसाइल को ट्रैक करना काफी मुश्किल काम है. ठीक इसी तर्ज पर ब्रह्मोस-2 मिसाइल को भी विकसित किया जा रहा है. ब्रह्मोस-2 सुपरसोनिक मिसाइल को स्पीड और इसके ग्लाइड करने की बेहतरीन क्षमता के साथ बनाया जा रहा है. इस एडवांस्ड वर्जन मिसाइल में स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जिससे इसकी ताकत काफी बढ़ जाएगी. इस मिसाइल की रेंज 600 किलोमीटर तक होगी, जिसे बढ़ाकर 1000 किलोमीटर तक किया जा सकता है. ये मिसाइल एंटी शिप और सतह से सतह पर मार करने वाली हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल होगी. इसे फाइटर जेट, युद्धपोत, पनडुब्बी से दागा जा सकता है यानी ये जमीन, हवा या फिर पानी में पनडुब्बी से भी लॉन्च किया जा सकेगा.
ब्रह्मोस-2 का काम तेजी से जारी
ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने संयुक्त तौर से निर्माण किया है. ये मिसाइल रेंज के मामले में कई अलग-अलग वेरिएंट में मौजूद है. इसकी रेंज 300 से 700 किमी तक है. हाइपरसोनिक वेरिएंट को भारत और रूस मिलकर विकसीत कर रहे हैं. इस एडवांस्ड वर्जन को रूस के रिसर्च एंड प्रोडक्शन एसोसिएशन ऑफ मशीन बिल्डिंग और भारत के डीआरडीओ (DRDO) साथ मिलकर विकसित करने में जुटे हैं. रूसी समाचार एजेंसी तास के हवाले ब्रह्मोस एयरोस्पेस के सीईओ अतुल राणे ने हाल ही में कहा था कि हाइपरसोनिक वेरिएंट ब्रह्मोस-2 का काम अडवांस स्टेज में है. जिरकॉन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर सवाल पर उन्होंने कहा था कि ऐसा संभव है. इसके बनने में अभी करीब 5 साल का वक्त लग सकता है.
जिरकॉन मिसाइल की ताकत?
जिरकॉन मिसाइल (Zircon Missile) ध्वनि की रफ्तार से करीब 7 गुना तेज है. ये अमेरिका की ओर से बनाए डिफेंस सिस्टम (Defence System) को भी चकमा देने में सक्षम है और इसी तर्ज पर भारत की ब्रह्मोस-2 (BrahMos-2) को विकसीत करने की योजना है. जिरकॉन मिसाइल को इंटरसेप्ट करना काफी मुश्किल है. इसकी स्पीड 6100 किमी से लेकर 11000 किमी तक है. ये मिसाइल 1000 किमी दूर स्थित टारगेट को तबाह करने में सक्षम है. यह एक एंटी शिप क्रूज मिसाइल (Anti Ship Cruise Missile) है, जिसका पिछले साल परमाणु सबमरीन से परीक्षण किया गया था. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल दिसंबर में बताया था कि जिरकॉन हमारी सबसे नई किस्म की मिसाइल है, जो समुद्र से समुद्र और जमीन पर हमला करने में पूरी तरह से सक्षम है.
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