BrahMos Supersonic Cruise Missiles: भारत अपनी सैन्य क्षमता में लगातार इजाफा कर रहा है. दुश्मनों के दांत खट्टे करने के लिए भारत लगातार आधुनिक फाइटर जेट, युद्धपोत और मिसाइलों को विकसित करने पर जोर दे रहा है. थल, जल और हवा में दुश्मन को और बेहतर तरीके से मात देने के लिए अपनी ताकत बढ़ा रहा है. इस कड़ी में भारत सरकार ने युद्धपोतों पर तैनाती के लिए दोहरी-भूमिका वाली ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) देने का निर्णय लिया है. इससे भारतीय नौसेना (Indian Navy) की ताकत काफी बढ़ जाएगी.


रक्षा मंत्रालय (Defense Ministry) ने इंडियन नेवी के अग्रिम मोर्चों के युद्धपोतों पर अधिक मारक क्षमता वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की आपूर्ति के लिए गुरुवार को ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (BAPL) के साथ 1700 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए.


काफी घातक क्रूज मिसाइल है ब्रह्मोस


ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज और बेहद ही घातक क्रूज मिसाइल मानी जाती है. इस घातक मिसाइल का पहली बार 12 जून 2001 को टेस्ट किया गया था. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का पहली बार चांदीपुर में भूमि आधारित लॉन्चर से परीक्षण किया गया था. उस वक्त के बाद से करीब 21 साल के सफर में इसे कई बार अपग्रेड किया गया है.


ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की क्या है खासियत?


ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को सरफेस टू सरफेस, जमीन से समुद्र और इसके विपरीत समुद्र से जमीन, हवा से समुद्र और जमीन तक लॉन्च करने को लेकर परीक्षण किया जा चुका है. ये बेहद ही घातक मिसाइल है. शुरुआत में इस मिसाइल की रेंज 290 किलोमीटर तक ही थी, लेकिन मौजूदा वक्त में इसकी रेंज बढ़ाकर 300-400 किमी तक कर दी है. इन मिसाइलों में जमीन के साथ-साथ जहाज-रोधी हमलों के लिए एडवांस रेंज और दोहरी भूमिका निभाने की क्षमता है. ये मिसाइल 2.8 मैक यानी 3000 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से मार करने में सक्षम है.


कैसे पड़ा है 'ब्रह्मोस' नाम?


ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) भारतीय सेना की तीनों विंग्स में शामिल है. ब्रह्मोस मिसाइल को रूस और भारत की साझा वेंचर के तहत विकसित किया गया है. इस मिसाइल का नाम ब्रह्मोस, भारत की ब्रह्मपुत्र (Brahmaputra River) और रूस की मोस्क्वा नदी के नाम को मिलाकर रखा गया है. ये मिसाइल दो प्रकार की होती हैं. पहला बैलेस्टिक और दूसरा क्रूज. इस मिसाइल की और अधिक रेंज वाली वेरियंट पर काम चल रहा है.


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