Defence News: ड्रोन से होगी ड्रैगन पर पैनी नजर- HAL विकसित कर रहा मल्टी रोल Drone, जानिए खासियत
Multi Role Drone: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) मल्टी-रोल से लैस ड्रोन (Drone) को विकसित कर रहा है. ये ड्रोन एलएसी (LAC) पर लंबे वक्त तक संचालन में सक्षम होगा.
Multi Role Drone To Vigil Over LAC: चीन की अपने पड़ोसी मुल्कों पर हमेशा से बुरी नजर रही है. भारत और चीन के बीच रिश्तों में भी लंबे वक्त से कड़वाहट रही है. सीमा पर चीन अक्सर सैन्य गतिविधियों को अंजाम देता रहा है. वहीं, भारतीय सेना के जवान भी काफी सतर्क रहते हैं. भारत भी ड्रैगन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने सैन्य सामानों में इजाफा कर रहा है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) चीन के साथ लगती सीमाओं पर निगरानी के लिए एआई संचालित मल्टी रोल ड्रोन (AI Based Multi Role Drone) विकसित कर रहा है.
मल्टी-रोल से लैस ड्रोन (Drone) का इस्तेमाल चीन के साथ लगती सीमाओं समेत अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में रणनीतिक अभियानों के लिए किया जाएगा.
ड्रोन से ड्रैगन पर नजर
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) मल्टी-रोल से लैस ड्रोन (Drone) को विकसित कर रहा है. ये ड्रोन एलएसी (LAC) पर लंबे वक्त तक संचालन में सक्षम होगा. चीन के साथ सीमाओं सहित ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रणनीतिक मिशनों के लिए ये काफी अहम माना जा रहा है. एचएएल ने अगले साल के मध्य तक मानव रहित विमान (UAV) की पहली परीक्षण-उड़ान आयोजित करने का टारगेट रखा है. जानकारी के मुताबिक इस परियोजना के पहले चरण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित ऐसे 60 ड्रोन का प्रोडक्शन करने की योजना है.
ड्रोन की क्या होगी खासियत?
ये मल्टी रोल से लैस ड्रोन है. इसमें मिसाइल और सेंसर सहित 40 किलोग्राम भार ले जाने की क्षमता होगी, और इसे वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ पहाड़ी क्षेत्रों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए सशस्त्र बलों की जरूरत को देखते हुए तैयार किया जा रहा है. लंबे समय तक चलने वाले ड्रोन के ऑपरेटिंग सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुप्रयोग होंगे और सशस्त्र बल जरूरी आपूर्ति के परिवहन सहित कई मकसदों के लिए इसका इस्तेमालग करने में सक्षम होंगे.
HAL की एक और महत्वाकांक्षी परियोजना
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) एक और महात्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहा है. इसके तहत कंपनी इजराइली हेरॉन टीपी ड्रोन (Israeli Heron TP Drones) के प्रोडक्शन की संभावना तलाश रही है. इस परियोजना का मकसद भारतीय सशस्त्र बलों (Indian Armed Forces) के साथ-साथ वैश्विक आपूर्ति की जरूरत पर जोर देना है. ये ड्रोन करीब 35,000 फुट की ऊंचाई पर करीब 45 घंटे तक काम कर सकता है. ये टेकऑफ और लैंडिंग के साथ उपग्रह संचार सिस्टम से लैस है. एचएएल डीआरडीओ (DRDO) के साथ दो अलग-अलग ड्रोन (Drone) परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है.
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