American MQ-9 Reaper Drone: चीन के साथ लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और हिंद महासागर के पास सतर्कता बढ़ाने के लिए भारत अमेरिका से एमक्यू-9बी ड्रोन खरीद रहा है. तीन अरब डॉलर से अधिक की लागत पर 30 एमक्यू-9बी प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन (MQ-9B Reaper Drone) खरीदने के लिए भारत (India) की अमेरिका (America) के साथ बातचीत अंतिम चरण में है. इससे जुड़े अधिकारियों ने रविवार को ये जानकारी दी.


लंबे समय तक हवा में रहने वाले इन ड्रोन को तीनों सेनाओं के लिए खरीदा जा रहा है. ये ड्रोन समुद्री सतर्कता, पनडुब्बी रोधी आयुध, क्षितिज के परे लक्ष्य साधने और जमीन पर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बनाने समेत विभिन्न कार्य करने में सक्षम हैं. एमक्यू-9बी ड्रोन एमक्यू-9 रीपर का एक प्रकार है. 


अल जवाहिरी के खात्मे के लिए किया था इस्तेमाल 


ऐसा बताया जाता है कि एमक्यू-9 रीपर का इस्तेमाल हेलफायर मिसाइल के उस संशोधित संस्करण को दागने के लिए किया गया था जिसने पिछले महीने काबुल में अल-कायदा सरगना अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया था. रक्षा प्रतिष्ठान के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रक्षा क्षेत्र की प्रमुख अमेरिकी कंपनी ‘जनरल एटॉमिक्स’ द्वारा निर्मित ड्रोन की नयी दिल्ली और वाशिंगटन के बीच सरकारी स्तर पर खरीद के लिए बातचीत चल रही है. 


अमेरिका और भारत के बीच बातचीत आखिरी चरण में


उन्होंने उन रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जिनमें कहा गया है कि इस सौदे पर अब बातचीत नहीं चल रही है. जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी डॉ. विवेक लाल ने बताया कि दोनों सरकारों के बीच खरीदारी कार्यक्रम पर बातचीत अंतिम चरण में है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि एमक्यू-9बी अधिग्रहण कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और भारत सरकारों के बीच बातचीत आखिरी चरण में है.’’ डॉ. विवेक लाल ने कहा, ‘‘इन वार्ताओं संबंधी कोई भी प्रश्न संबंधित सरकारों से पूछा जाना चाहिए. एक कंपनी के नजरिए से जनरल एटॉमिक्स भारत का सहयोग करने के लिए तैयार है और हमारे दीर्घकालीन संबंध को महत्व देता है.’’ सूत्रों ने बताया कि वार्ता लागत घटक, हथियारों के पैकेज और प्रौद्योगिकी को साझा करने से संबंधित कुछ मुद्दों को सुलझाने पर केंद्रित है. 


निगरानी तंत्र को मजबूत कर रहा है भारत


ऐसा समझा जाता है कि अप्रैल में वाशिंगटन में भारत और अमेरिका के बीच हुई ‘टू प्लस टू’ विदेश एवं रक्षा मंत्री स्तर की वार्ता के दौरान भी खरीदारी के प्रस्ताव पर चर्चा हुई थी. भारतीय नौसेना को 2020 में मुख्य रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी के लिए अमेरिका से दो ‘एमक्यू-9बी सी गार्जियन’ ड्रोन पट्टे पर मिले थे. गैर-हथियार वाले दो एमएक्यू-9बी ड्रोन एक वर्ष के लिए पट्टे पर दिए गए थे और उसकी अवधि को एक और वर्ष बढ़ाने का विकल्प था. भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में पीएलए युद्धपोतों सहित चीन की बढ़ती गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने निगरानी तंत्र को मजबूत कर रही है. इन दो ड्रोन के बारे में पूछे जाने पर डॉ. लाल ने कहा कि उन्होंने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और उन्होंने भारतीय नौसेना की समुद्री एवं जमीनी सीमा पर गश्त के लिए करीब 3,000 घंटे उड़ान भरी. उन्होंने कहा कि भारतीय ग्राहक एमक्यू-9 के प्रदर्शन से प्रभावित हुए हैं. 


तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन मिलने की संभावना


जनरल मोटर्स के अनुसार, एमक्यू9-बी को न केवल नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) के मानकों को पूरा करते हुए बल्कि अमेरिका और दुनिया भर में असैन्य हवाई क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाया गया है. भारतीय नौसेना ने इन ड्रोन की खरीद के लिए प्रस्ताव किया था और तीनों सेनाओं को 10-10 ड्रोन मिलने की संभावना है. अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटॉमिक्स द्वारा निर्मित रिमोट-संचालित ड्रोन करीब 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम हैं. इसे निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन के ठिकानों को नष्ट करने सहित कई मकसदों के लिए तैनात किया जा सकता है.


‘प्रीडेटर’ ड्रोन को लंबे समय तक हवा में रहने और ऊंचाई वाले क्षेत्रों की निगरानी के लिए खास तौर पर डिजाइन किया गया है. भारतीय सशस्त्र बल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध के बाद ऐसे हथियारों की खरीद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. अमेरिका (America) ने 2019 में भारत (India) को सशस्त्र ड्रोन (Drone) की बिक्री को मंजूरी दी थी और एकीकृत वायु एवं मिसाइल रक्षा प्रणालियों की भी पेशकश की थी. भारत ने पिछले साल फरवरी में नौसेना के लिए अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन से 24 एमएच -60 रोमियो हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए अमेरिका के साथ 2.6 अरब डॉलर का सौदा किया था. उन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति शुरू हो गयी है. 


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