Landing Craft Assault Boat: चीन और भारत के रिश्तों में काफी लंबे वक्त से कड़वाहट रही है. सीमा पर चीन को करारा जवाब देने के लिए भारत तेजी से अपने आधुनिक सैन्य उपकरणों को विकसित कर रहा है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने बुधवार को भारतीय सेना को कई आधुनिक हथियार और सिस्टम सौंपे हैं. भारतीय सेना ने पैंगोंग झील (Pangong Lake) में पेट्रोलिंग करने और दुश्मनों पर नजर रखने के लिए एक खास बोट भी उतारी है. इसका नाम लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट बोट (Landing Craft Assault Boat) है, जो स्वदेशी के साथ बेहद ही अत्याधुनिक है. 


सेना के जवान लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट बोट (Landing Craft Assault Boat) के जरिए किसी भी वक्त बहुत ही कम समय में पैंगोंग झील के किसी भी इलाके में पहुंच सकते हैं और दुश्मन को करारा जवाब दे सकते हैं.


लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट बोट की खासियत?


केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (LCA) बोट्स को थलसेना प्रमुख को सौंपा. लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट को मैसर्स एक्वेरियस शिप यार्ड लिमिटेड, गोवा द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है. इस बोट को खास तौर से पैंगोंग-त्सो झील में पैट्रोलिंग और उससे सटे इलाकों में हमला करने के मकसद से सेना को सौंपी गई है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ये असॉल्ट बोट (Landing Craft Assault Boat) बहुत अधिक उन्नत है और लॉन्च, गति और क्षमता की कमियों को दूर कर चुका है. 


35 सैनिक हों सकेंगे सवार


इस एलसीए बोट्स में करीब 35 सैनिक सवार होकर ऑपरेशन के लिए जा सकते हैं. इन बोटों को भारतीय सेना की इंजीनियरिंग कोर मेंटेन करेगी. इस बोट के जरिए बहुत ही कम वक्त में पैंगोंग झील के किसी भी इलाके में पहुंचा जा सकता है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट बोट बहुत अधिक उन्नत है और लॉन्च, गति और क्षमता की कमियों को दूर कर चुका है. हालांकि अभी भी भारतीय सेना और आईटीबीपी के पास पैट्रोलिंग बोट्स मौजूद हैं, लेकिन उनकी क्षमताएं सीमित हैं.


चीन को मिलेगा करारा जवाब?


दरअसल पैंगोंग झील में असॉल्ट ऑपरेशन का मतलब ये है कि अब कभी भी पैट्रोलिंग के दौरान भारतीय सेना का सामना अगर चीनी सेना से साथ होता है और हालात बेकाबू हो जाते हैं तो रिइनफोर्समेंट के लिए जमीन पर रास्ते के बजाए इन लैंडिंग क्राफ़्ट असॉल्ट बोट के जरिए पहुंचा जा सकता है. इससे पहले भारतीय बोट की क्षमता और स्पीड सीमित थी और पूर्वी लद्दाख में इस बोट के आने के बाद से भारतीय सेना की ताक़त में इजाफा होगा.


पैंगोंग झील में पैट्रोलिंग कितना जरूरी?


दरअसल, पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ कंट्रोल यानि एलएसी (LAC) दुनिया की प्रसिद्ध पैंगोंग-त्सो झील के बीच से होकर गुजरती है. लगभग 140 किलोमीटर लंबी इस पैंगोंग झील (Pangong Lake) का दो-तिहाई हिस्से पर चीन अधिकार जमाता है. वहीं, झील के करीब एक तिहाई पर भारत का अधिकार है, लेकिन एलएसी स्थाई रूप से डिमार्क यानि निश्चित ना होने की वजह से ड्रैगन के चालबाज सैनिक इस झील के साथ साथ उससे सटे इलाकों में घुसपैठ करने का अक्सर प्रयास करते हैं. ऐसे में दुश्मन देश पर नजर रखने के लिए पैंगोंग-त्सो झील में पैट्रोलिंग बेहद जरूरी है. 


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