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Defence News: ड्रैगन को भारतीय सेना देगी मुंहतोड़ जवाब, स्पेशल लाइटवेट टैंक तैयार करेगा भारत, जानिए खासियत

Light Tanks: भारतीय सेना (Indian Army) की ओर से इन टैंकों को पूर्वी लद्दाख (East East Ladakh) से सटी एलएसी (LAC) पर तैनात करने की योजना है. इसे प्रोजेक्ट जोरावर के तहत बनाया जाएगा.

Project Zorawar: पड़ोसी देशों से तनाव के बीच भारत लगातार सैन्य क्षमता में इजाफा कर रहा है. चीन (China) को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने प्रोजेक्ट जोरावर (Project Zorawar) शुरू किया है. अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भारत हल्के टैंक को विकसित करने की तैयारी कर रहा है. जानकारी के मुताबिक सेना ने लगभग 350 स्वदेशी रूप से विकसित हल्के टैंकों ( Light Tanks) को शामिल करने के लिए प्रोजेक्ट जोरावर शुरू किया है.

भारतीय सेना (Indian Army) की ओर से इन टैंकों को पूर्वी लद्दाख (East East Ladakh) से सटी एलएसी यानी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल पर तैनात करने की योजना है, ताकि ड्रैगन की किसी भी गतिविधि पर तुरंत रिएक्ट किया जा सके.

मेक इन इंडिया के तहत लाइटवेट टैंक

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना जल्द ही रक्षा मंत्रालय से लाइट टैंक लेने की मंजूरी ले सकती है. इन हल्के टैंकों को मेक इन इंडिया के तहत देश में ही तैयार किए जाने की योजना है. प्रोजेक्ट जोरावर पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी 27 महीने पुराने सैन्य टकराव से सीखे गए सबक से उभरा है, जिसमें दोनों सेनाओं ने टैंक, हॉवित्जर और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम जैसे भारी हथियार प्रणालियों को तैनात किया है.

क्या होगी टैंक की खासियत?

• प्रोजेक्ट जोरावर के तहत लाइट टैंक करीब 25 टन वजनी होंगे

• वजन में हल्का होने से एलएसी पहुंचने में होगी आसानी

• हल्के टैंक उंचे पहाड़ों से लेकर दर्रों तक ‌से भी निकलने में सक्षम

• हल्के टैंकों में भारी टैंक की तरह ही फायर करने की ताकत होगी

• प्रोजेक्ट जोरावर के तहत बने हल्के टैंक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) युक्त ड्रोन से लैस होंगे.

• तेज मूवमेंट के लिए जोरावर टैंक से मिलेगी सेना को मदद 

भारतीय सेना के पास अभी किस प्रकार के टैंक?

भारतीय सेना (Indian Army) के पास फिलहाल जो टैंक उपलब्ध हैं, वो मैदानी या फिर रेगिस्तान इलाकों के लिए हैं. रूसी टी-72 हो या फिर टी-90 या फिर स्वदेशी अर्जुन टैंक, ये सभी 45-70 टन वजन के हैं. T-90S और T-72 टैंक मुख्य रूप से मैदानी और रेगिस्तान में संचालन के लिए डिज़ाइन किए गए थे. अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इनकी सीमाएं हैं. ऐसे में टी-72 और बाकी भारी टैंकों के लिए एलएसी (LAC) पहुंचने में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में भारतीय सेना चाहती है कि वो हल्के टैंक (Light Tanks) के जरिए अपनी ताकत बढ़ाए.

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