Indian Army Project Zoravar: भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान अक्सर उकसावे वाली गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं. ऐसे में सुरक्षा को लेकर भारतीय सेना (Indian Army) भी मुंहतोड़ जवाब देने के साथ काफी सतर्क रहती है. समंदर से लेकर अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में सुरक्षा को और मजबूत बनाने की दिशा में भारत लगातार काम कर रहा है. आधुनिक मिसाइलों से लेकर टैंक, ड्रोन, हेलीकॉप्टर और पोत तैनात किए जा रहे हैं. पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में बढ़े हुए चीनी (China) खतरों के बीच भारत ने प्रोजेक्ट जोरावर (Project Zorawar) को शुरू किया है.


प्रोजेक्ट जोरावर के तहत पूर्वी लद्दाख में खतरों वाले इलाके में तैनात करने के लिए हल्के टैंकों (Light Tanks) का निर्माण किया जाएगा. मेक इन इंडिया अभियान के तहत इन टैंकों का निर्माण पूरी तरह से स्वदेश में ही किए जाने की योजना है.


क्या है प्रोजेक्ट जोरावर?


प्रोजेक्ट जोरावर के तहत स्वदेशी लाइटवेट टैंक खरीदने की तैयारी है. पूर्वी लद्दाख में खतरों वाले इलाके में हल्के टैंकों को तैनात करने की योजना है. प्रोजेक्ट का नाम जम्मू कश्मीर रिसायत के पूर्व कमांडर, जोरावर सिंह (Zorawar Singh) के नाम रखा गया है, जिन्होनें 19वीं सदी में चीनी सेना (Chinese Army) को हराकर तिब्बत में अपना परचम लहराया था. प्रॉजेक्ट ज़ोरावर के तहत भारतीय सेना में 350 लाइट टैंक शामिल किए जाएंगे. ये हल्के टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ड्रोन सिस्टम से लैस होंगे.


प्रोजेक्ट जोरावर से क्यों घबरा रहा ड्रैगन?


चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए प्रोजेक्ट जोरावर को शुरू किया गया है. भारतीय सेना बेहद ही आधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस टैंक 'जोरावर' खरीदने जा रही है, जो कई हजार किमी की ऊंचाई पर दुर्गम पहाड़ी इलाकों में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में सक्षम होंगे. ये लाइट टैंक हर मौसम और हर जगह पर बेहतर काम करेंगे. ड्रैगन की सेना इस तरह के हल्के टैंकों से पहले से लैस है, जिन्हें पहाड़ों पर आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाया जा सकता है. चीन के साथ उत्तरी सीमा पर सैन्य गतिरोध और चुनौतियों को देखते हुए हल्के टैंक तैनात करने को लेकर कदम उठाया गया है. हालांकि भारत ने मौजूदा टैंकों से भी चीन को करारा जवाब दिया है, लेकिन जब ये हल्के टैंक सेना में शामिल हो जाएंगे तो चीन को और मजबूती के साथ करारा जवाब दिया जा सकेगा.


क्या है भारतीय सेना की रणनीति?


दुनिया के कई हिस्सों में चल रहे सैन्य संघर्षों का भारतीय सेना बारिकी से अध्ययन करने में जुटी है. साल 2020 में ड्रैगन की सेना के साथ भारत की झड़प के दौरान हल्के टैंकों की जरूरत महसूस की गई थी, ताकि दुर्गम इलाकों में इसकी तैनाती करके दुश्मन देश के सैनिकों को मात दिया जा सके. भारत ने लाइट टैंक को अपने सीमावर्ती क्षेत्र के सभी इलाकों में तैनाती के लिहाज से डिजाइन किया है. भविष्य में सुरक्षा की चुनौतियों और खतरों से पूरी तरह से निपटने के लिए दूरगामी रणनीति के तहत हल्के टैंकों को तैयार करने की योजना है. जोरावर टैंक के साथ-साथ भारतीय सेना का स्वार्म ड्रोन, आधुनिक मिसाइल और उपकरण विकसित करने पर भी खास ध्यान है. स्वदेश निर्मित हथियारों की तैनाती पर भी खास जोर है.


क्यों खास है लाइटवेट टैंक?


भारतीय सेना (Indian Army) के पास फिलहाल जो टैंक उपलब्ध हैं, वो मैदानी या फिर रेगिस्तान क्षेत्रों के लिहाज से बनाए गए हैं. T-90S और T-72 टैंक मुख्य रूप से मैदानी और रेगिस्तान में संचालन के लिए डिज़ाइन किए गए थे. इनका वजन भी 45-70 टन के बीच है. प्रोजेक्ट जोरावर के तहत लाइट टैंक (Light Tanks) करीब 25 टन वजन वाले होंगे. अधिक ऊंचाई वाले इलाकों से लेकर दर्रों तक से भी ये निकलने में सक्षम हैं. भारी टैंक की तरह ही इसमें भी फायर करने की क्षमता होगी. सबसे खास बात ये है कि ये हल्के टैंक आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस ड्रोन से लैस रहेंगे.


ये भी पढ़ें:


Defence News: पिनाका मिसाइल सिस्टम के नए वर्जन से कांप उठेंगे दुश्मन, जानिए इसकी खासियत


Defence News: क्या है MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन की खासियत? जानें भारत के लिए कितना अहम है ये अमेरिकी हथियार