Explained: समंदर में बाहुबली INS विक्रांत और आसमान में गरजता तेजस...दुनिया देख रही मेड इन इंडिया की ताकत
Made in India: मेक इन इंडिया मुहिम रंग ला रही है. आज दुनियाभर में भारत में बन रहे हथियारों (Weapons) का दबदबा बढ़ा है. अमेरिका (US) जैसे ताकतवर देश भी भारत की तकनीक का लोहा मानने लगे हैं
India in Defence Sector: भारत रक्षा के क्षेत्र में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए धीरे-धीरे आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहा है. आधुनिक हथियारों से लेकर तोप, ड्रोन और फाइटर जेट (Fighter Jet) समेत कई और उपकरण खुद ही बनाने में लगा है. दो सितंबर को स्वदेश नर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को नौसेना को समर्पित कर दिया गया, जो आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की प्रगति का स्वर्णिम पल रहा. आज हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का अभियान शानदार तरीके से सफलताओं का आसमान चूम रहा है.
इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हर कोई भारत में बनी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम वाली तोप को देखकर हैरान था. रक्षा के क्षेत्र में जो भारत पहले सिर्फ आयात कर रहा था, अब दूसरे देशों को बेचने की स्थिति में है.
समंदर में बाहुबली INS विक्रांत
भारत लगातार मेड इन इंडिया अभियान के तहत हथियारों से लेकर बड़े-बड़े युद्धपोत बना रहा है. दो सितंबर को समंदर का बाहुबली आईएनएस 'विक्रांत' भारतीय नौसेना में शामिल हो गया. ये स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत देश की एक नई ताकत और ऊर्जा है. इस विशाल एयरक्राफ्ट के जरिए समुद्री सरहद में जल से लेकर नभ तक प्रहरी का काम किया जा रहा है. स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत के साथ ही भारत उन देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिसके पास इस तरह के बड़े और आधुनिक सुविधाओं से लैस युद्धपोत बनाने की क्षमता है. आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड की ओर से बनाया गया है. इस युद्धपोत को इंडियन नेवी (Indian Navy) के इन-हाउस डायरेक्टरेट ऑफ नेवल डिजाइन (DND) ने डिजाइन किया है.
आसमान में गरजता 'तेजस'
भारत में बने हल्के लड़ाकू विमान तेजस की पूरी दुनिया में धूम मची है. अब तेजस का एक नया वर्जन भी जल्द आने की उम्मीद है. पीएम मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने तेजस मार्क-2 को प्रोटोटाइप, उड़ान परीक्षण और प्रमाणन के साथ 6,500 करोड़ रुपये से अधिक के मूल्य के साथ विकसित करने की मेगा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी. इसके अलावा सरकार ने पांचवी पीढ़ी स्टील्थ टेक्नोलॉजी को भी हरी झंडी दे दी है. तेजस के एडवांस्ड वर्जन में अधिक ताकतवर इंजान लगाया जाएगा. तेजस-1 का वजन 14.5 टन था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 17.5 टन किया जाएगा. तेजस मार्क -2 में 4.5 टन पेलोड ले जाने में सक्षम होगा. जबकि इससे पहले तेजस मार्क-1 में 3.5 टन की अधिकतम पेलोड क्षमता थी.
मल्टी रोल ड्रोन
हाल के दिनों में अमेरिका समेत कई देश तेज को खरीदने को लेकर दिलचस्पी दिखा चुके हैं. अमेरिका को दुनिया सुपरपावर मानती है, वो भी भारत के स्वदेशी फाइटर जेट तेजस में दिलचस्पी दिखा रहा है. अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस ने भी भारत के हल्के लड़ाकू विमान तेजस में दिलचस्पी दिखाई है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) चीन के साथ लगती सीमाओं पर निगरानी के लिए एआई संचालित मल्टी रोल ड्रोन (Drone) भी विकसित कर रहा है. ये ड्रोन दुश्मन के खतरों से निपटने में काफी हद तक मददगार होंगे
स्वेदश में विकसित ATAGS तोप
दिल्ली में लाल किले पर इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत में बनी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम वाली तोप देखकर हर भारतीय को गर्व था. 21 तोपों की सलामी हर साल ब्रिटिश निर्मित तोपों के जरिए दी जाती थी, लेकिन इस बार पहली बार स्वदेशी तोपों से सलामी दी गई. ये डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है. पीएम मोदी ने भी कहा था कि आजादी के बाद 75 वर्षों में पहली बार, तिरंगे को दी जाने वाली 21 तोपों की सलामी में मेड-इन-इंडिया आर्टिलरी गन का इस्तेमाल किया गया. सभी भारतीय इस ध्वनि से प्रेरित होंगे. इस तोप को डीआरडीओ की पुणे स्थित सुविधा आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान में निर्मित किया गया था. ATAGS परियोजना को डीआरडीओ द्वारा 2013 में भारतीय सेना में पुरानी तोपों को आधुनिक 155 मिमी आर्टिलरी गन से बदलने के लिए शुरू किया गया था.
एफ-इंसास और एके-203 राइफल
दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सेना को स्वदेश निर्मित अत्याधुनिक हथियार दिए जा रहे हैं. इसी कड़ी में अभी अगस्त महीने में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना को एफ-इंसास, एके-203 राइफल, एंटी पर्सनल माइन, बोट और ड्रोन समेत कई स्वदेशी हथियार सौंपे थे. एके 203 काफी हल्की और बेहद खतरनाक है. इसकी इफेक्टिव रेंज 300 मीटर बताई जाती है. इसकी मैग्जीन में 30 बुलेट आएंगी.
ब्रह्मोस मिसाइल
भारत और रूस ब्रह्मोस-2 के नए वेरिएंट यानी ब्रह्मोस-2 सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के निर्माण में तेजी से जुट गए हैं. इस मिसाइल में रूस के सबसे घातक जिरकॉन (Zircon) मिसाइल की तकनीक का भी इस्तेमाल हो सकता है. ब्रह्मोस मिसाइल को भारत और रूस ने संयुक्त तौर से निर्माण किया है. रेंज के मामले में ये अलग-अलग वेरिएंट में मौजूद है. इसकी रेंज 300 से 700 किमी तक है. हाइपरसोनिक वेरिएंट को भारत और रूस मिलकर विकसित कर रहे हैं. इस एडवांस्ड वर्जन को रूस के रिसर्च एंड प्रोडक्शन एसोसिएशन ऑफ मशीन बिल्डिंग और भारत के डीआरडीओ (DRDO) साथ मिलकर विकसित करने में जुटे हैं. हालांकि इसमें कुछ वक्त लग सकता है.
भारत का अब निर्यात पर भी जोर
दुनिया की सबसे घातक और तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos 2 Hypersonic Missile) उत्तर प्रदेश में भी बनाने की योजना है. हम हथियारों को बनाने के साथ-साथ निर्यात पर भी जो दे रहे हैं. अभी हाल ही में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की 3 बैट्री की खरीद के लिए 30.75 करोड़ डॉलर के सौदे पर मुहर लगाने के कुछ महीने बाद फिलीपींस अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए भारत से एडवांस्ड हल्के हेलीकॉप्टर खरीदने पर विचार कर रहा. देश में पहली बार किसी विदेशी नौसेना का जहाज रिपेयर के लिए चेन्नई पहुंचा. अमेरिकी नौसेना ने एक डील के तहत अपने यूएसएनए चार्ल्स ड्रियू जहाज को रिपेयर करने के लिए चेन्नई के कट्टूपल्ली स्थित एलएंडटी कंपनी के शिपयार्ड भेजा. इन गतिविधियों से मेक इन इंडिया अभियान को बड़ा बूस्ट मिलने की उम्मीद है.
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