लखनऊ: डिफेंस एक्सपो के थीम के तहत इस बार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में देश-विदेश की कई ऐसे कंपनियां पहुंची हैं जो रक्षा क्षेत्र में डिजिटल परिवर्तन पर जुटी हुई हैं. किस तरह डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिेए आतंकवाद और दुश्मन देश के ड्रोन से निपटा जा सकता है ये कंपनी इस पर काम कर रही हैं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने बुधवार को डिफेंस एक्सपो के उदघाटन के दौरान इस बात पर खास जोर दिया था कि सशस्त्र सेनाओं को टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की बेहद आवश्यकता है.


डिजिटल ट्रांसफोर्मेशेन इन डिफेंस है इस बार का थीम


इस बार के डिफेंस एक्सपो का थीम है डिजिटल ट्रांसफोर्मेशेन इन डिफेंस. यही वजह है कि फ्रांस की बड़ी कंपनी थेलेस ने अपने पैवेलियन का नाम ही डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन रखा है. डिफेंस एक्सपो में थेलेस ने रियल-टाइम में फेशियल-रिकेगनेशन को दिखाने की कोशिश की है. इसके जरिए एयरपोर्ट या फिर किसी भी संवेदनशील जगह पर इस सिस्टम को लगा दिया जाता है. इस सिस्टम के डेटाबेस में हजारों की तादाद में संदिग्ध लोगों का डेटाबेस आ सकता है. अगर कोई भी अपराधी एयरपोर्ट से भागने की कोशिश करता है या फिर कोई आतंकवादी घुसने की कोशिश करेगा तो ये सिस्टम एक्टिवेट हो जाएगा और सुरक्षाबल सावधान हो जाएंगे.


फ्रांस की थेलेस कंपनी ने इजाद की काउंटर ड्रोन तकनीक


थेलेस कंपनी के अधिकारी बी के वधावन ने एबीपी न्यूज को बताया कि पुरानी तकनीक में पुलिस और दूसरे सुरक्षाबल तस्वीर को स्कैन करते थे. लेकिन लाइव स्ट्रीमिंग नई तकनीक है जिसके माध्यम से किसी संदिग्ध को ट्रेक भी किया जा सकता है. रियल टाइम में लाइव-स्ट्रीमिग के जरिए इस फिशेयल रिकेगनेशन सिस्टम का डेमो दिखाया. उन्होंने बताया कि डिफेंस एक्सपो जैसे बड़े आयोजनों में कोई संदिग्ध ना घुस जाए उसके लिए भी ये तकनीक बेहद कारगर है. इस टेक्नोलॉजी से उस संदिग्ध शख्स को ट्रैक कर ये भी पता किया जा सकता है कि वो कहां जा रहा है.


वधावन के मुताबिक, इस सिस्टम का फायदा ये भी है कि इसे बड़े कॉरपोरेट ऑफिस में भी लगाया जा सकता है. जहां सैंकड़ों कर्मचारी काम करते हैं. वहां आने वाले कर्मचारियों को अपनी उपस्थिति के लिए कहीं कोई कार्ड पंच करने की जरूरत नहीं होगी और ना ही कोई थंब इम्प्रेशन देना होगा.


ड्रोन और यूएवी को करेगी डिटेक्ट


फेशियल-रिकेगनेशन के साथ साथ थेलेस कंपनी ने एक नई तकनीक इजाद की है. जिससे ड्रोन और यूएवी के खतरों से निपटा जा सकता है. थेलेस कंपनी ने एक नई रडार बनाई है जो ड्रोन जैसे छोटे हवाई वस्तुओं को डिटेक्ट कर सकती है. दुनियाभर की वायुसेनाएं और सुरक्षा एजेंसियां जो रडार इस्तेमाल करती हैं वे लड़ाकू विमान या फिर हेलीकॉप्टर को तो डिटेक्ट कर लेती हैं लेकिन ड्रोन या फिर यूएवी (अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स) को नहीं पकड़ पाती हैं. ऐसे में थेलेस का दावा है कि वो इन ड्रोन्स को भी काउंटर करने में सक्षम है.


सेना को करेगी अलर्ट


थेलेस की काउंटर-यूएवी डिवीजन के अधिकारी डेनिस ने एबीपी न्यूज को बताया कि उनकी कंपनी की रडार सात किलोमीटर दूर ही किसी भी यूएवी को डिटेक्ट कर सकती है और सेना या फिर सुरक्षाबलों को अलर्ट जारी कर सकता है, ताकि समय रहते वे इस ड्रोन को एंटी एयरक्राफ्ट गन या फिर किसी और माध्यम से मार गिराएं.


ड्रोन के हमले का बढ़े मामले


आपको बता दें कि दुनियाभर में आज ड्रोन सबसे बड़ा हवाई खतरा माना जा रहा है. हाल ही में सऊदी अरब की एक ऑयल-रिफाईनरी पर ड्रोन से ही हमला किया गया था. यहां तक की दो साल पहले वेनुजेएला के राष्ट्रपति को एक सैन्य-आयोजन के दौरान ड्रोन हमला किया गया था. ऐसे में ड्रोन के खतरने से निपटना बेहद जरूरी है. हाल ही में गणतंत्र दिवस परेड के दौरान भी ड्रोन खतरे की खबरें आई थीं.


गौरतलब है कि पाकिस्तान की तरफ से लगातार पंजाब सीमा में ड्रोन के जरिए हथियार या फिर ड्रग्स की स्मैगलिंग हो रही है. कई बार ये ड्रोन एलओसी और सीमा पर सेना के संवदेनशील ठिकानों की जासूसी करने के इरादे से घुस जाते हैं. जब तक सेना या बीएसएफ अलर्ट होते हैं ये वापस अपनी सीमा में लौट जाते हैं. यही वजह है कि थेलेस जैसी कंपनियों द्वारा इजाद की गई काउंटर-यूएवी टेक्नोलॉजी काफी अहम भूमिका निभा सकती है.


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